वाराणसी, 30 मई 2025, शुक्रवार। वाराणसी में मासूम किशोरी के साथ ऐसा जुल्म हुआ कि इंसानियत भी शर्मसार हो उठी। एक ऑटो चालक और उसके साथी ने न सिर्फ उसका भरोसा तोड़ा, बल्कि उसकी जिंदगी को तार-तार कर दिया। यह कहानी है विश्वास के धोखे, क्रूरता की पराकाष्ठा और एक मासूम की हिम्मत की।
गुस्से में छोड़ा घर, धोखे ने बदली राह
गुरुवार की शाम, शिवपुर थाना क्षेत्र में एक किशोरी का अपने पिता से झगड़ा हो गया। गुस्से में तमतमाई वह घर से निकल पड़ी, उसका फोन बंद, मन उदास और कदम अनजान रास्तों पर। घर से महज 300 मीटर दूर, एक ऑटो चालक ने उसे देख लिया। उसकी मासूमियत और बेबसी को भांपते हुए उसने मदद का नाटक रचा। “कहां जाना है, बेटी? रात हो रही है, मैं तुम्हें सुरक्षित जगह छोड़ दूंगा। पैसे भी नहीं लूंगा,” उसने मीठी बातों से जाल बिछाया। किशोरी, जो उस वक्त सिर्फ एक भरोसे की तलाश में थी, उसके झांसे में आ गई।
निर्माणाधीन मकान में कैद, टूटा भरोसा
ऑटो चालक ने उसे गोदौलिया के अनाथ आश्रम छोड़ने का वादा किया, लेकिन उसकी मंशा कुछ और थी। वह किशोरी को लंका थाना क्षेत्र के भगवानपुर में एक सुनसान, निर्माणाधीन मकान में ले गया। वहां, चार दीवारों के बीच उसने उसे कैद कर लिया। जब किशोरी ने विरोध किया, शोर मचाया, तो दरिंदों ने उसकी आवाज को थप्पड़ों और लातों से दबा दिया। ऑटो चालक और उसके साथी ने मिलकर उसके साथ गैंगरेप की घिनौनी हरकत को अंजाम दिया। उसकी चीखें, उसका दर्द, सब कुछ उन पत्थरदिलों के सामने बेकार साबित हुआ।
तालाब किनारे छोड़कर भागे दरिंदे
जुल्म की इंतहा यहीं नहीं रुकी। दरिंदों ने किशोरी को ऑटो में ठूंसकर रोहनिया थानांतर्गत भाष्करा तालाब, केशरीपुर के पास ले गए। वहां उसे सड़क किनारे फेंक दिया, धमकी दी कि अगर उसने मुंह खोला तो जान से मार देंगे। उसका मोबाइल छीनकर दोनों वहशी रात के अंधेरे में गायब हो गए। बदहवास, टूटी-फूटी किशोरी सड़क पर पड़ी रही, उसका जिस्म जख्मों से और मन डर से कांप रहा था।
राहगीर बना सहारा, पुलिस ने संभाली कमान
कुछ देर बाद, एक राहगीर की नजर उस पर पड़ी। उसकी मदद से किशोरी ने अपने पिता को फोन किया। परिवार वाले तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। कांपते होंठों से उसने अपनी आपबीती सुनाई। पिता उसे लेकर रोहनिया थाने पहुंचे और दरिंदों के खिलाफ तहरीर दी। थाना प्रभारी विवेक कुमार शुक्ला ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। पुलिस अब उन रास्तों के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है, जहां-जहां किशोरी को ले जाया गया।
न्याय की उम्मीद
यह घटना सिर्फ एक किशोरी की कहानी नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि हमारे आसपास कितने भेड़िए इंसान का चेहरा पहने घूम रहे हैं। वाराणसी की पुलिस अब उन दरिंदों की तलाश में है, और किशोरी का हौसला, जो इस दर्द के बाद भी टूटा नहीं, समाज के लिए एक मिसाल है। क्या इंसाफ की लौ इन अंधेरी गलियों को रोशन कर पाएगी? यह सवाल अब हर किसी के मन में है।