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Sunday, June 22, 2025

सोने की चिड़िया फिर भरेगी उड़ान: कोलार गोल्ड फील्ड्स का पुनर्जनन: भारत की स्वर्णिम विरासत फिर से चमकेगी

बेंगलुरु, 12 जून 2025: भारत, जिसे प्राचीन काल में ‘सोने की चिड़िया’ के नाम से जाना जाता था, एक बार फिर अपनी स्वर्णिम विरासत को पुनर्जनन की ओर ले जा रहा है। कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध कोलार गोल्ड फील्ड्स (केजीएफ), जो कभी ब्रिटिश साम्राज्य के लिए खजाने का पिटारा थी, अब वर्षों के अंतराल के बाद फिर से खुलने जा रही है। यह कदम न केवल भारत की ऐतिहासिक धरोहर को पुनर्जनन देगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और सोने के आयात पर निर्भरता कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

ऐतिहासिक महत्व और ब्रिटिश युग का वैभव

कोलार गोल्ड फील्ड्स की कहानी 2000 साल से भी अधिक पुरानी है। प्राचीन भारतीय सभ्यताओं, जैसे सातवाहन, चोल, विजयनगर साम्राज्य और टीपू सुल्तान के शासनकाल में इस क्षेत्र से सोना निकाला जाता था। आधुनिक युग में, 1871 में ब्रिटिश सैनिक माइकल फिट्जगेराल्ड लावेल ने कोलार में सोने के भंडार की संभावनाओं को पहचाना। इसके बाद, 1880 में जॉन टेलर एंड संस ने खनन कार्य शुरू किया, जिसने केजीएफ को विश्व की सबसे गहरी और उत्पादक खदानों में से एक बना दिया। अपने चरम पर, यह खदान भारत के 95% सोने का उत्पादन करती थी और विश्व के सोने के उत्पादन का 2% हिस्सा थी। 1902 में, शिवनासमुद्र जलविद्युत संयंत्र से बिजली आपूर्ति के साथ, केजीएफ भारत का पहला विद्युतीकृत शहर बन गया, जिसे उस समय ‘लिटिल इंग्लैंड’ कहा जाता था।

2001 में बंदी और पर्यावरणीय चुनौतियाँ

121 साल तक चले खनन कार्यों के बाद, 2001 में उच्च परिचालन लागत और कम राजस्व के कारण भारत सरकार ने केजीएफ को बंद कर दिया। इस बंदी ने न केवल हजारों श्रमिकों की आजीविका छीन ली, बल्कि क्षेत्र को पर्यावरणीय समस्याओं के साथ भी छोड़ दिया। खनन से उत्पन्न लगभग 33 मिलियन टन अवशेष (टेलिंग डंप्स), जिनमें साइनाइड और सिलिका जैसे जहरीले पदार्थ शामिल हैं, आज भी क्षेत्र में बिखरे पड़े हैं। इन ‘साइनाइड हिल्स’ ने स्थानीय जल और मिट्टी को प्रदूषित किया है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएँ और पर्यावरणीय चिंताएँ बढ़ी हैं।

पुनर्जनन की उम्मीद और आर्थिक प्रभाव

हाल ही में, केंद्र और कर्नाटक सरकार ने केजीएफ में खनन को पुनर्जनन करने और 1,003.4 एकड़ में फैले 13 टेलिंग डंप्स की नीलामी करने का प्रस्ताव स्वीकार किया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन अवशेषों से प्रति टन एक ग्राम सोना निकाला जा सकता है, जो न केवल पर्यावरणीय सफाई में मदद करेगा, बल्कि आर्थिक लाभ भी देगा। इसके अलावा, 80 किलोमीटर की अछूती खनन पट्टी में प्रति वर्ष 50 टन तक सोने का उत्पादन संभव है।

सोशल मीडिया पर इस खबर ने उत्साह पैदा किया है। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “केजीएफ का पुनर्जनन न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत की ऐतिहासिक धरोहर को भी पुनर्जनन देगा।” एक अन्य पोस्ट में अनुमान लगाया गया कि केजीएफ प्रति वर्ष 750 किलोग्राम सोने का उत्पादन कर सकता है, जिससे भारत का सोने का आयात बिल, जो वर्तमान में 800 टन प्रतिवर्ष है, काफी कम हो सकता है।

विरासत और पर्यटन की संभावनाएँ

केजीएफ न केवल आर्थिक, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र के परित्यक्त खनन शाफ्ट, ब्रिटिश शैली की इमारतें, और ऐतिहासिक स्कूल जैसे कोलार गोल्ड फील्ड्स बॉयज़ स्कूल और सेंट मैरी स्कूल, इसे एक संभावित विरासत पर्यटन स्थल बनाते हैं। हाल के वर्षों में, कन्नड़ फिल्म ‘केजीएफ’ ने इस क्षेत्र की कहानी को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई, जिससे पर्यटकों का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि खनन के साथ-साथ, केजीएफ को एक ऐतिहासिक और भू-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को और बल मिलेगा।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

हालांकि पुनर्जनन की संभावनाएँ आशाजनक हैं, लेकिन कई चुनौतियाँ भी हैं। पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन, खनन के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग, और स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार सृजन महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, 3,753 एकड़ में फैली 25 कॉलोनियों में रहने वाले पूर्व खनिकों और उनके परिवारों के पुनर्वास का मुद्दा भी विचारणीय है। भारत सरकार और कर्नाटक सरकार ने इस दिशा में कदम उठाए हैं, लेकिन सफलता के लिए सामुदायिक सहभागिता और पारदर्शी नीतियाँ आवश्यक होंगी।

नया भारत, नया स्वर्ण युग

कोलार गोल्ड फील्ड्स का पुनर्जनन भारत के लिए एक स्वर्णिम अवसर है। यह न केवल देश की सोने की खपत को घरेलू उत्पादन से पूरा करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर को जीवित रखने का प्रयास भी है। यदि यह परियोजना पर्यावरणीय और सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ आगे बढ़ती है, तो केजीएफ एक बार फिर भारत की ‘सोने की चिड़िया’ की कहानी को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।

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