18.1 C
Delhi
Wednesday, February 19, 2025

वायुसेना दिवस पर नए एयरफ़ोर्स चीफ का पहला संबोधन , 8 अक्तूबर को इस बार चेन्नई के असमान में दिखेगा भारत का दम ।

हर चुनौती के लिए पूरी तरह से सक्षम लेकिन आयरन डोम जैसे डिफेंस सिस्टम की भारत को भी ज़रूरत ।

भारत के पास विदेशी जमीन पर अपने दुश्मनों पर ख़त्म करने की क्षमता
बालाकोट हवाई हमलों में वायुसेना ने दिखाया था दम – भारतीय वायु सेना प्रमुख एपी सिंह*

अनिता चौधरी, दिल्ली

8 अक्टूबर 2024 को भारतीय वायुसेना अपना 92वाँ स्थापना दिवस मना रही है । भारतीय वायुसेना दिवस पर भारत के वायुसेना दिवस पर एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने भारत के बढ़ते एयर डिफ़ेंस सिस्टम को लेकर कई महत्वपूर्ण जानकारी साझा की ।

इस बार भारतीय वायु सेना दिवस दक्षिण भारत के चेन्नई में मनाई जा रही है ।


चन्नई के आसमान में आत्मनिर्भर भारत की सशक्त झलक को पूरी दुनिया देखेगी । चेन्नई में मेगा एयर शो की तैयारी भी पूरी हो गई है ।एयर शो 2024 के चलते चेन्नैई एयरपोर्ट फ़िलहाल रेड जोन घोषित है । 8 अक्टूबर तक अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के टाइम में भी बदलाव किए गए हैं और एडवाइजरी जारी कर दी गई है । फ्लाईपास्ट और एरोबेटिक्स डिस्प्ले सहित हवाई प्रदर्शन के लिए 1 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक अस्थायी प्रतिबंध भी लगाए गए हैं।

भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा है कि 2047 तक भारतीय वायुसेना विश्व की सशक्त सेना होगी और उसके सभी हथियार देश में ही निर्मित होंगे। उन्होंने कहा कि भावी सुरक्षा चुनौतियों के लिए स्वदेशी हथियार प्रणाली का होना बेहद जरूरी है। वहीं एयर चीफ मार्शल ने आत्मनिर्भरता की दिशा में भारतीय वायुसेना के कोशिशों को लेकर सराहा । उन्होंने कहा, हम तेजस, तेजस एमके2, एएमसीए, एस्ट्रा और बड़ी लंबी दूरी के हथियारों को विकसित करने जैसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इनमें एमआरएसएएम और आकाश जैसी सतह से हवा में मार करने वाली गाइडेड मिसाइलें भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि 2047 तक संपूर्ण वायुसेना का विकास और उत्पादन भारत में ही हो, जिसमें ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम जैसी स्वदेशी तकनीकों को डेवलप करने पर जोर दिया जाएगा।

भारत-चीन गतिरोध को लेकर उन्होंने कहा कि पूर्वी लददाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कोई बदलाव नहीं हुआ है। लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि चीन अपनी सीमा पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है और हमारे सामने दुश्मन की तैयारियों से बराबरी करने की चुनौती है और वह हम अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाकर और अन्य तरीकों से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में ज्यादा एडवांस लैंडिंग ग्राउंड और नए एयरबेस बना रहे हैं। वहीं, इस्राइल के आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर उन्होंने कहा कि अगर भारत पर इस्राइल की तरह मिसाइल हमला हुआ, तो भारत सभी मिसाइलों को नहीं रोक पाएगा, क्योंकि इस्राइल के मुकाबले हमारा क्षेत्रफल ज्यादा है।

92वें वायु सेना दिवस के वर्षगांठ समारोह पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए भारतीय वायुसेना के नव नियुक्त प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने कहा कि दुनिया में जहां युद्ध और एयर पावर का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है, भारतीय वायु सेना अपनी रक्षा प्रणालियों और क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा रही है। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने इस्राइल-ईरान संघर्ष से मिले सबक और आने वाले वर्षों में भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय वायुसेना की आगामी योजनाओं को भी साझा किया और कहा कि वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए भारत को भी आयरन डोम जैसा डिफेंस एयर सिस्टम की ज़रूरत है । उन्होंने कहा, हम आयरन डोम जैसा सिस्टम खरीद रहे हैं, लेकिन हमें उनकी और जरूरत है।

क्या है आयरन डोम डिफ़ेंस सिस्टम
आयरन डोम सिस्टम इन दिनों खूब चर्चा में है । इजराइल के पास कई वायु रक्षा प्रणालियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक को अलग-अलग ऊंचाई और दूरियों पर आने वाली मिसाइलों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।


इजराइल की सबसे प्रसिद्ध मिसाइल ढाल, आयरन डोम , को मिसाइल लांचर से 4 किमी से 70 किमी की दूरी पर कम दूरी के रॉकेटों, साथ ही गोले और मोर्टार को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है।इसके अलावा इज़राइल के पास डेविड्स स्लिंग भी है जिसका उद्देश्य 300 किमी तक की दूरी से लंबी दूरी के रॉकेट, क्रूज मिसाइलों और मध्यम दूरी या लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करना है।


एरो 2 और एरो 3 प्रणालियां मध्यम दूरी और लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों से रक्षा करती हैं, जब वे 2,400 किमी दूर तक कहीं भी हों। ऐसा माना जा रहा है कि इजरायल ने ईरान के नवीनतम हमले का मुकाबला करने के लिए अपनी सभी मिसाइल रक्षा प्रणालियों का इस्तेमाल किया, जिसमें लगभग 180 मिसाइलें शामिल थीं, जिनमें से कुछ ही इजरायली क्षेत्र पर गिरीं।

कैसे काम करता है आयरन डोम

पूरे इज़रायल में आयरन डोम बैटरियाँ स्थापित हैं। हर बैटरी में तीन या चार लॉन्चर होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में 20 इंटरसेप्टर मिसाइलें होती हैं।आयरन डोम रडार से दागे गए रॉकेटों का पता लगाता है और उन पर नज़र रखता है और गणना करता है कि कौन से रॉकेट आबादी वाले इलाकों में गिरने की संभावना है। इसके बाद यह इन रॉकेटों पर मिसाइलें दागता है, जबकि बाकी रॉकेटों को खुले मैदान में गिरने के लिए छोड़ दिया जाता है।

एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह कहा कि अभी, हमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान कर रहे है और रणनीति के लिहाज़ से उन्हें प्राथमिकता दे रहे है । उन्होंने कहा कि हमें रूस से तीन S400 एयर डिफेंस सिस्टम मिल चुके हैं, जो ऑपरेशनल हैं और अगले साल तक बाकी दो S400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी हो जाएगी।


वहीं जब एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह से पूछा गया कि कि क्या इस्राइल लेबनान में हिज़्बुल्लाह प्रमुख को मार सकता है, तो भारत ऐसा क्यों नहीं करता? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि हम बालाकोट में ऐसा कर चुके हैं, कहां किसको मार सकते हैं, वो मैं नहीं बताउंगा।

अग्निवीरों को लेकर वायुसेना प्रमुख ने कहा कि अगर हमें 25 फीसदी से ज्यादा अग्निवीरों को परमानेंट करना पड़े, तो हम इसके लिए तैयार हैं, लेकिन यह फैसला सरकार को करना है। उन्होंने आगे कहा कि हमसे कोई रिकमंडेशन नहीं मांगी गई है। अब तक अग्निवीर वायु का फीडबैक बहुत अच्छा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना सिर्फ इक्विपमेंट्स पर ही ध्यान नहीं देती है, बल्कि अपने कर्मियों के कौशल को निखारने पर भी ध्यान देती है। उन्होंने वायु शक्ति, तरंग शक्ति और गगन शक्ति जैसे अभ्यासों का ज़िक्र करते हुए कहा, हम विचारों का आदान-प्रदान करने और दूसरों से सीखने के लिए बहुत सारे अभ्यास करते हैं। अकेले गगन शक्ति अभ्यास में 7,000 से ज़्यादा उड़ानें भरी गईं, जो युद्ध के लिए तैयार रहने की भारतीय वायुसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

फाइटर जेट्स के स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रही वायुसेना।

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय वायुसेना के लिए बड़ी चुनौती फाइटर जेट्स के कम होते स्क्वाड्रनों के बीच फाइटर जेट्स की ताकत को बनाए रखना। बता दें कि भारतीय वायुसेना में इस समय फाइटर जेट्स के स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रही है। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं, और अगले डेढ़ दशक में इसके अधिकांश स्क्वाड्रन फेज आउट हो जाएंगे। जबकि भारत को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है। मिग-21 बाइसन और मिग-29 के स्क्वाड्रन 2025 और 2035 तक चरणबद्ध तरीके से रिटायर हो जाएंगे। 2019 में पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट स्ट्राइक करने वाले फ्रांसीसी लड़ाकू विमानों मिराज-2000 भी 2035 तक रिटायर हो जाएगा । एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने माना कि मौजूद संसाधनों को संरक्षित करने पर ज़्यादा ध्यानदिया जा रहा है । उन्होंने पिछली देरी से सीखने और मीडियम रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) कार्यक्रम जैसी योजनाओं को आगे बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमने अपनी जरूरतें बहुत स्पष्ट कर दी हैं और हम जवाबों का इंतजार कर रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये विमान भारत में ही बनाए जाने हैं ।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »