कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की सरकार संग लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है। गर्मी के मौसम को देखते हुए नवंबर महीने से ही दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों ने अब पक्के आशियाने बनाने शुरू कर दिए हैं। कानून वापसी तक परमानेंट डेरा डालने के इरादे से किसानों के लिए लिए अब बॉर्डर पर ईंट-सीमेंट के पक्के घर भी तैयार हो रहे हैं। इतना ही नहीं, गर्मी के मौसम को देखते हुए पंखे, एसी से लेकर हर तरह की तैयारियां दिख रही हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार ये कृषि कानून वापस नहीं लेती, तब तक वे यहां डटे रहे हैं। इसी सिलसिले में टिकरी बॉर्डर पर परमानेंट शेल्टर बनाए गए हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, किसान सोशल आर्मी टिकरी बॉर्डर पर ईंट-सीमेंट से पक्के मकान की तरह अपने आशियाने को बना रहे हैं। उनका मानना है कि क्योंकि किान आंदोलन लंबा चलेगा, इसलिए उन्होंने ईंट-सीमेंट से परमानेंट शेल्टर का निर्माण किया है।
किसान सोशल आर्मी के अनिल मलिक ने कहा, ये घरें किसानों की इच्छाशक्ति के जैसे ही मजबूत और परमानेंट हैं। अब तक 25 घर बनाए गए हैं और आने वाले दिनों में ऐसे 1000 से 2000 घरों का निर्माण किया जाएगा।
टिकरी बॉर्डर पर जो घर बनाए गए हैं, वह एक आम कमरे की तरह हैं। इसमें कूलर और पंखे के साथ-साथ खिड़की की व्यवस्था भी की गई है। हालांकि, घरों की छत की सीमेंट-बालू से ढलाई नहीं हुई है, बल्कि ऊपर पराली और घास-फूस की छत बिछाई गई है, ताकि गर्मी से राहत मिले। बता दें कि नंबर के अंत से ही नए कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। सर्दी के दिनों में किसानों टेंट डालकर डटे रहे, मगर गर्मी को देखते हुए उनकी तैयारी भी जारी है।