देश में महंगाई आसमान छू रही है। जहां एक ओर खुदरा महंगाई आठ साल के शिखर पर पहुंच गई है, जबकि थोक महंगाई सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए नए शिखर पर पहुंच चुकी है। इसे काबू में करने के लिए पीएम मोदी लगातार कदम उठा रहे हैं, लेकिन उनकी इस राह में टमाटर बड़ा रोड़ा बन सकता है। टमाटर के लगातार बढ़ते भाव अब सरकार के लिए चिंता का सबब बनते जा रहे हैं।
गौरतलब है कि प्याज समेत अन्य सब्जियों का भारत की राजनीति में उथल-पुथल लाने कई बार अहम योगदान रहा है। सब्जियों का देश में सरकारों को गिराने का एक असामान्य इतिहास है और भारत में टमाटर की कीमतें जिस हिसाब से बढ़ रही हैं, उसने राजनेताओं को परेशानी में डाल दिया है। बता दें कि टमाटर, आलू और प्याज ऐसी सब्जियां हैं जो कि हर रोज रसोई में इस्तेमाल होती हैं और इनकी कीमतों में बढ़ोतरी सीधे रसोई के माध्यम से आम आदमी को प्रभावित करती हैं। खाद्य मंत्रालय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों को देखें तो भारत में टमाटर का औसत खुदरा मूल्य एक महीने पहले 70 फीसदी और एक साल पहले की तुलना में 168 फीसदी तक बढ़कर मंगलवार तक 53.75 रुपये (69 सेंट) प्रति किलोग्राम पर पहुंच गईं।
भारत में खाना पकाने के तेल से लेकर गेहूं के आटे तक हर चीज की कीमतें चढ़ गई हैं, जिससे अप्रैल में मुद्रास्फीति आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई और घरेलू बजट बुरी तरह बिगड़ गया है। हालांकि, सरकार ने आनन-फानन में बड़ा कदम उठाते हुए गेहूं और चीनी के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया। वहीं अब एक रिपोर्ट में ऐसी संभावना जताई गई है कि नींबू-प्याज के बाद अब टमाटर की कीमतों में लगी आग कहीं सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी न कर दे।
रिपोर्ट में कहा गया कि टमाटर समेत खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों का भी राजनीतिक प्रभाव हो सकता है। इसमें कहा गया कि पीएम मोदी के 2018 के अभियान के दौरान ‘TOP’ का अर्थ टमाटर, प्याज और आलू समझाते हुए कहा था कि किसान उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। मुंबई के एक सब्जी विक्रेता 36 वर्षीय प्रेम बैस ने कहा कि वर्तमान में टमाटर की कमी है। पुरानी फसल से आपूर्ति कम हो रही है और एक नई फसल लगभग तीन महीने में ही आ जाएगी। यही कारण है कि अब टमाटर 80 रुपये प्रति किलोग्राम पर टमाटर बेच रहा है।