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Monday, August 11, 2025

रक्षा विशेषज्ञ ने कहा, चीनी सेना की हरकतों पर भरोसा नहीं ,इसलिए पेट्रोलिंग पॉइंट्स को स्थायी नियंत्रण रेखा बना दिया जाना चाहिए।

अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीनी सेना में झड़प के बाद एक बार फिर चीन की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। एक रक्षा विशेषज्ञ ने सोमवार को कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना की हरकतों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है, इसलिए पेट्रोलिंग पॉइंट्स (Patrolling Points) को स्थायी नियंत्रण रेखा बना दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत को सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने रसद में सुधार करना चाहिए।

भारत को अपना रुख बदलना होगा

रक्षा विशेषज्ञ प्रफुल्ल बख्शी ने कहा कि जरूरत पड़ी तो चीन की हरकतों को देखते हुए भारत को अपना रुख बदलना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि सैन्य वार्ता जारी रहनी चाहिए। सेना के सूत्रों ने सोमवार को बताया कि शुक्रवार (नौ दिसंबर) को तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प में दोनों पक्षों के सैनिकों को मामूली चोटें आईं और झड़प के तुरंत बाद दोनों पक्ष अपने इलाकों में लौट गए।

सूत्रों ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में शुक्रवार को आमने-सामने के क्षेत्र में तैनात भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया और झड़प में घायल हुए चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों से अधिक है। सूत्रों ने कहा कि चीनी लगभग 600 सैनिकों के साथ पूरी तरह से तैयार होकर आए थे, लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं थी कि भारतीय पक्ष भी पूरी तरह से तैयार होगा।प्रफुल्ल बख्शी ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि भारतीय सैनिकों की प्रतिक्रिया त्वरित थी जिसकी चीनियों को अपेक्षा नहीं थी।

चीनी अभी भी पुराने रुख अपनाए हुए हैं

उन्होंने कहा कि चीनी अभी भी पुराने रुख अपनाए हुए हैं। वे आक्रामक हो रहे हैं। लेकिन हम अब सतर्क हो गए हैं। हमारी प्रतिक्रिया त्वरित और चीनियों द्वारा कम से कम अपेक्षित थी। उन्होंने हमें कम करके आंका। हमें अब अपनी नीति को बदलने के बारे में सोचना चाहिए। हमें अब दृढ़ हो जाना चाहिए। यदि जरूरत हो तो, हम हथियारों से बात करेंगे। इसी की जरूरत है। हमारी रसद व्यवस्था में और सुधार होना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूरी घटना को एकतरफा देखता हूं। भारत अपनी बातों पर बहुत खरा है, इसलिए वे निर्धारित एसओपी के अनुसार काम करना जारी रखे हुए हैं। लेकिन चीनी इंतजार कर रहे हैं। वे एक ऐसे मौके का इंतजार कर रहे हैं जिसका वे उल्लंघन कर सकें और घुसपैठ कर सकें। मैंने ऐसा सुना है कि उन्होंने पांच और बटालियन शामिल कर ली हैं और हाइट्स हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। पांच बटालियन का मतलब करीब 5,000 लोग हैं। इसका मतलब है कि चीनियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। आप कब तक चीन पर भरोसा करेंगे? उन्होंने पूर्व में लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी कार्रवाई के बाद भारत की प्रतिक्रिया का भी उल्लेख किया।

हमें अपनी नीति को संशोधित करना चाहिए

उन्होंने कहा कि हमने 2020 में सात हाइट्स और कैलाश हाइट्स ले लिया था। हमने उन्हें वापस क्यों दिया? अब हमें अपनी नीति को संशोधित करना चाहिए। इसकी घोषणा नहीं की जा सकती है, लेकिन हमें जो करना चाहिए वह कमजोर बिंदुओं की ओर है। अधिक से अधिक क्षेत्र और भौगोलिक स्थिति हासिल करने का प्रयास करें ताकी बातचीत की मेज पर हम मजबूती से सामने आएं और यही अब तक चीन ने किया है। उन्होंने कहा कि मान लीजिए कि भारतीय सैनिकों ने उन्हें नहीं रोका होता, तो चीनी वापस नहीं जाते। हमारे कमांडर ने फ्लैग मीटिंग बुलाने की पहल की। फ्लैग मीटिंग के लिए चीनी बहुत अनिच्छा से आए होंगे।

चीन को उसी की भाषा में जवाब देना होगा

बख्शी ने कहा कि मुझे लगता है कि हमें अपना रुख बदलना होगा। वार्ता जारी रहने दें। आप वार्ता के संचालन को उच्च रैंक तक बढ़ा सकते हैं, लेकिन यह तय किया जाना चाहिए कि अब पेट्रोलिंग पॉइंट को दोनों पक्षों के लिए स्थायी नियंत्रण रेखा बना दिया जाए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अब यह जान लेना चाहिए कि चीनियों पर अब और भरोसा नहीं किया जा सकता है। उन्हें उसी के अनुसार सेना को आदेश देना होगा। साथ ही चीनियों को भी यह जान लेना चाहिए कि भारत पीछे हटने वाला नहीं है।

सूत्रों ने कहा कि तवांग सेक्टर में आमने-सामने की कार्रवाई के बाद भारत के स्थानीय कमांडर ने अपने समकक्ष चीनी कमांडर के साथ फ्लैग मीटिंग की और पहले से तय व्यवस्था के तहत शांति और स्थिरता कायम करने पर चर्चा की। सेना के सूत्रों ने बताया कि तवांग में एलएसी के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां दोनों ही पक्ष अपना दावा करते हैं और यहां दोनों देशों के सैनिक गश्त करते हैं। यह चलन 2006 से चल रहा है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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