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Wednesday, August 6, 2025

कश्मीर का काला अध्याय: हिन्दू नरसंहार की दर्दनाक कहानी

नई दिल्ली, 26 फरवरी 2025, बुधवार। कश्मीर में 1990 के दशक में हुए हिन्दू नरसंहार और कत्लेआम की कहानी बहुत ही दर्दनाक है। उस समय कश्मीर में लाखों हिन्दुओं को उनके घरों से निकालकर मार दिया गया था। हिन्दू माथे पर जहां तिलक लगाते हैं, हज़ारों हिन्दुओं के माथे से उस जगह को चाकू से काट काटकर निकाला गया था। सरवानंद कौल, गिरिजा टिककु, बी. के. गंजू जैसे कई हिन्दू नेताओं और आम लोगों को जिहादियों ने मार दिया था। गिरिजा जी कश्मीर में एक स्कूल की लैब असिस्टेंट थीं। जिहादियों ने इनको अगवा करके इनका सामुहिक बलात्कार किया था और बाद में जिंदा रहते हुए इनको मशीन से दो टुकड़ों में काट दिया था।
इस तरह हज़ारों हिंदू औरतों की दर्दनाक मौत हुई थी। बी के गंजू यह कश्मीर घाटी के एक इंजीनियर थे। जिहादियों ने इनको घर में घुसकर गोलियों से भून दिया और इनकी खून से सना हुआ चावल इनकी पत्नी को जोर जबरदस्ती से खिला दिया गया था। इन दोनों की सिर्फ एक ही गलती थी और वह है इन लोगों का हिंदू धर्म। नदीमार्ग हत्याकांड में मुस्लिमों ने 83 हिन्दू बच्चों के सरों और आंखों में गोली मारी। लाइन लगाकर हज़ारों हिंदू औरतों, लड़कियों, बेटियों के साथ खुलेआम बलात्कार किए गए और उनके स्तन काटकर उनको पेड़ों पर लटका दिया गया।
कई हज़ारों हिंदू औरतों को बलात्कार के बाद जिंदा जला दिया गया और कई हिन्दू औरतों को एसिड के टैंकों में डालकर मार दिया गया। हज़ारों हिंदू मंदिरों को तोड़कर उनपर मस्जिदें बनाई गईं और हज़ारों हिंदू मंदिरों को बंद कर दिया गया और उन बंद मंदिरों की दीवारों पर लिखा गया कि – यहाँ रुकें और पेशाब करके जाएं। हज़ारों हिंदू औरतों और हिन्दू पुरूषों को उनके बच्चों के खून से सने चावल खिलाये गए। यह सब कश्मीर में हुए हिन्दू नरसंहार और कत्लेआम की दर्दनाक कहानी है।
4 नवंबर को जस्टिस नीलकंठ गंजू को दिन दहाड़े हाई कोर्ट के सामने मुस्लिमों ने मार दिया, क्योंकि उन्होंने एक खुंखार इस्लामी आतंकवादी को सजा सुनाई थी। 7 मई को प्रोफेसर के. एल. गंजू और उनकी पत्नी को मार दिया गया और उनकी पत्नी का सामूहिक बलात्कार किया गया। इसके बाद एसिड डालकर उन्हें मार दिया गया। 22 मार्च को अनंतनाग के एक दुकानदार पीएन कौल की चमड़ी जीवित अवस्था में शरीर से उतार दी गई और मरने के लिए छोड़ दिया गया। टेलीकॉम इंजीनियर पीके गंजू को पीछा करके जिहादी मुस्लिम उनके घर आए, लेकिन पीके गंजू एक चावल के कंटेनर में छुप गए थे। इसलिए जिहादी मुस्लिम उन्हें ढूंढ नहीं पाए और वापस जाने लगे। लेकिन पीके गंजू के मुस्लिम पड़ोसियों ने उन जिहादी इस्लामी मुस्लिमों को बुलाकर बताया कि पीके गंजू और उनकी फैमिली कहाँ छुपी है। इसके बाद पीके गंजू को उन्हीं कंटेनर में गोलियों से भून दिया गया। जाते जाते उन जिहादी मुस्लिमों ने कहा कि इस खून को चावलों में मिल जाने दो और अपने बच्चों को खाने देना। यह बयान उनकी क्रूरता और अमानवता को दर्शाता है।
इसी तरह, 12 फरवरी को तेज कृष्ण राजदान को उनके ही एक मुस्लिम दोस्त ने बस में राजदान के सीने में गोली उतार दी, उसके बाद राजदान की लाश को बस से उतारकर गली में घसीटा गया और लोगों से बोला गया कि उनके पार्थिव शरीर को लातों से मारें और उनकी लाश को पास की ही मस्जिद के आगे डाल दिया गया जिससे कि लोग देखें कि हिन्दुओं का क्या हश्र होगा। 24 फरवरी को अशोक कुमार काजी की घुटनों में गोली मारी गई। उनके बालों को उखाड़ा गया, उनके ऊपर थूका गया, और उनके ऊपर कई मुस्लिमों ने पेशाब भी किया। फिर एक घंटे के बाद उनको जिंदा जला दिया गया। 29 फरवरी को नवीन सप्रू को भी इसी तरह से दर्दनाक मौत दी गई, उसके बाद मुस्लिमों ने नाचते गाते हुए जश्न मनाया।
कट्टरपंथी मुस्लिमों ने कश्मीरी कवि सर्वानंद कौल और उनके बेटे वीरेंद्र कौल की बहुत ही भयानक रूप से मौत के घाट उतारा। तिलक करने की जगह को छीलकर चमड़ी हटा दी गई थी। पिता और पुत्र की आंखें निकाल ली गई थी और हड्डियां तोड़ दी गई थीं और इसके बाद रस्सी से एक टांग पर लटका दिया गया था। मंजू और 9 अन्य लोगों को किडनैप करके उनका खून तब तक निकाला गया जब तक वो मर नहीं गए। 9 जुलाई को हृदयनाथ और राम भंडारी के सिर को लाल चौक पर सबके सामने काटा गया। 26 जून को बीएल रैना को घेरकर पहले उनके हांथ पैर काटे और फिर उनको तब तक घसीटा जब तक वो मर नहीं गए। दामोदर रैना को बीच चौराहे पर जिंदा जला दिया गया था। अशोक सूरी और उनके भाई की मंदिर में घुसकर गला रेतकर मारा गया था। सोपोर के चुन्नीलाल चल्ला एक इंस्पेक्टर थे, उनको तो उनके ही एक मुस्लिम सिपाही ने आंखें निकालकर और फिर गला रेतकर नृशंस हत्या कर दी।
28 अप्रैल को भूषण रैना के सिर में पिन घुसाए गए और फिर उनके कपड़े उतारकर उनको एक पेड़ पर कीलों से लटकाया गया और फिर उनको तड़पा-तड़पाकर मारा गया। 23 जनवरी को वंधमा गाँव में 73 हिंदू पुरुषों और 69 हिन्दू औरतों की गला काटकर हत्या की गई और उनके 76 छोटे छोटे बच्चों की आंखों में गोली मारके हत्या की गई। इसके बाद हज़ारों हिंदुओं के घरों में आग लगा दी गई और ऐसे ही क्रूर तरीके से हज़ारों हिन्दुओं को मारा गया। ये तो सिर्फ कुछ घटनायें हैं जिसमें हिन्दुओं को मारा, काटा और भगाया गया। ऐसे ना जाने कितने हज़ारों नरसंहार और कत्लेआम और बलात्कार हुये थे कश्मीर में, वो इससे भी ज्यादा भयानक तरीके से, जिसे न लिखा जा सकता है, न ही बताया जा सकता है। शायद वो खौफनाक दास्तां सुनकर आपकी रूह कांप उठेगी।

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