नई दिल्ली, 20 जून 2025: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नकली करेंसी के बड़े रैकेट का पर्दाफाश करते हुए शातिर अपराधी मोइदीनब्बा उमर बेरी को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से भारत प्रत्यर्पित कराने में बड़ी सफलता हासिल की है। इंटरपोल और अबू धाबी पुलिस के सहयोग से मोइदीन को मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लाया गया। वह दुबई से उड़ान संख्या AI-920 के जरिए भारत पहुंचा।
मोइदीन, जिसे मोइदीन के नाम से भी जाना जाता है, नकली भारतीय मुद्रा (FICN) के कारोबार में लिप्त था। वह दुबई में उच्च गुणवत्ता वाले नकली नोट खरीदकर शारजाह के रास्ते बेंगलुरु लाता था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसके खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोपों में मामला दर्ज किया था। सीबीआई ने NIA के अनुरोध पर 30 दिसंबर 2013 को इंटरपोल के जरिए मोइदीन के खिलाफ रेड नोटिस जारी करवाया था, जिसके बाद उसे UAE में गिरफ्तार किया गया।
सीबीआई की अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहयोग इकाई (IPCU) ने अबू धाबी में इंटरपोल के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (NCB) के साथ मिलकर मोइदीन की जियो-लोकेशन ट्रैक की और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को अंजाम दिया। भारतीय गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सहयोग से UAE को प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा गया, जिसके परिणामस्वरूप यह कामयाबी मिली।
इंटरपोल के सहयोग से 100 से अधिक भगोड़े पकड़े गए
सीबीआई के अनुसार, इंटरपोल के रेड नोटिस के जरिए वैश्विक स्तर पर वांछित अपराधियों की खोज और गिरफ्तारी में मदद मिलती है। भारत में सीबीआई इंटरपोल चैनलों के माध्यम से सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय करती है। पिछले कुछ वर्षों में इस तंत्र के जरिए 100 से अधिक भगोड़े अपराधियों को भारत वापस लाया गया है, जो देश की जांच एजेंसियों की दक्षता को दर्शाता है।
मोइदीन की गिरफ्तारी नकली करेंसी के अवैध कारोबार के खिलाफ एक बड़ा कदम है। अब NIA उससे पूछताछ कर इस रैकेट के अन्य सदस्यों और नेटवर्क का पता लगाने की कोशिश करेगी। यह घटना भारत की जांच एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की ताकत को उजागर करती है।