पंडित दीन दयाल उपाध्याय मंडल (डीडीयू), उत्तर प्रदेश, 8 अगस्त 2025: भारतीय रेलवे ने एक नया कीर्तिमान गढ़ते हुए 4.5 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी ‘रुद्रास्त्र’ का सफल संचालन किया। यह मालगाड़ी, जो 354 वैगनों और सात शक्तिशाली इंजनों से सुसज्जित है, देश की अब तक की सबसे लंबी मालगाड़ी बन गई है।
7 अगस्त 2025 को दोपहर 2:20 बजे, डीडीयू मंडल के गंजख्वाजा स्टेशन से शुरू हुआ यह ऐतिहासिक सफर गढ़वा रोड तक तय किया गया। छह खाली बॉक्सन रेक को जोड़कर तैयार ‘रुद्रास्त्र’ ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और सामान्य रेल ट्रैक पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज की। इस उपलब्धि ने न केवल रेलवे की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित किया, बल्कि भविष्य के लॉजिस्टिक्स और माल ढुलाई में क्रांतिकारी बदलाव की संभावनाएं भी खोल दीं।
‘रुद्रास्त्र’ की खासियत
‘रुद्रास्त्र’ सिर्फ एक मालगाड़ी नहीं, बल्कि भारतीय रेलवे की नवाचार और दक्षता का प्रतीक है। 354 वैगनों को एक साथ जोड़कर चलाने का यह प्रयोग समय, संसाधन और रेल मार्ग की क्षमता के अधिकतम उपयोग का शानदार उदाहरण है। इस मालगाड़ी ने एक साथ छह रेकों को चलाकर ट्रैक की भीड़भाड़ को कम करने और परिचालन लागत को घटाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
डीडीयू मंडल की अहम भूमिका
पूर्व मध्य रेल के डीडीयू मंडल ने इस उपलब्धि के साथ अपनी तकनीकी और प्रबंधकीय कुशलता का लोहा मनवाया। कोयला और अन्य सामग्रियों की ढुलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला यह मंडल खाली मालगाड़ियों की जांच और मरम्मत के बाद उन्हें समयबद्ध तरीके से रवाना करने के लिए जाना जाता है। ‘रुद्रास्त्र’ इस मंडल की नवाचार की सोच और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण का प्रमाण है।
‘रुद्रास्त्र’ की प्रमुख विशेषताएं
- लंबाई: 4.5 किलोमीटर
- वैगन: 354 (6 बॉक्सन रेक)
- इंजन: 7
- मार्ग: गंजख्वाजा स्टेशन से गढ़वा रोड (सोननगर होकर)
उपयोगिता
- ट्रैक क्षमता का अधिकतम उपयोग
- समय और संसाधनों की बचत
- माल ढुलाई की गति और मात्रा में वृद्धि
- रेलवे के कार्बन उत्सर्जन में कमी
भविष्य की राह
‘रुद्रास्त्र’ का सफल संचालन भारतीय रेलवे के लिए एक मील का पत्थर है। यह मॉडल न केवल माल ढुलाई की दक्षता बढ़ाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और रेलवे की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी योगदान देगा। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की पहल भविष्य में और बड़े पैमाने पर लागू की जा सकती हैं, जो देश की लॉजिस्टिक्स व्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।
‘रुद्रास्त्र’ ने साबित कर दिया कि भारतीय रेलवे न सिर्फ परंपरा का प्रतीक है, बल्कि नवाचार और प्रगति का भी अगुआ है। यह उपलब्धि रेल कर्मचारियों की मेहनत और तकनीकी दक्षता का जश्न है, जो देश को गति और समृद्धि की ओर ले जा रहा है।