गोरखपुर में अपराध की दुनिया से तौबा कर हिस्ट्रीशीटर अब थानों में शपथपत्र देने लगे हैं। कुछ अपराध न करने की दुहाई दे रहे तो कई ने प्रदेश छोड़कर दूसरे राज्य में रोजगार तलाश लिया है। कुछ खेती-किसानी में लग गए हैं।
जानकारी के मुताबिक पुलिस ने बदमाशों पर निगरानी बढ़ाई है। अब हर रविवार को दुराचारी सभा कर हिस्ट्रीशीटरों को थाने बुलाया जा रहा है। इससे खौफ और बढ़ गया है। कल तक जो खुद अपराध करते थे, वह अब नए बदमाशों की जानकारी पुलिस तक पहुंचाने लगे हैं।
130 सक्रिय हिस्ट्रीशीटर जेल भेजे गए
जिले में कुल 1505 हिस्ट्रीशीटर हैं। इनमें से 135 निष्क्रिय हैं। कुछ उम्र के उस पड़ाव पर हैं कि वे अपराध नहीं कर सकते तो कइयों ने अपराध से तौबा कर लिया है। पुलिस के मुताबिक 1370 हिस्ट्रीशीटर अब भी सक्रिय हैं, इनमें से 130 को पुलिस जेल भेज चुकी है।
चौरीचौरा में सर्वाधिक 102 हिस्ट्रीशीटर
गोरखपुर जिले के चौरीचौरा थाने में सर्वाधिक 102 हिस्ट्रीशीटर हैं। इनमें से 12 निष्क्रिय हैं। कोतवाली थाने में 46, राजघाट में 49, तिवारीपुर में 47, कैंट में 28, खोराबार में 58, रामगढ़ताल में 20, गोरखनाथ में 62, शाहपुर में 47, कैंपियरगंज में 53, पीपीगंज में 62, सहजनवां में 38, गीडा में 47, चिलुआताल में 63, झंगहा में 82, पिपराइच में 81, गुलरिहा में 46, बांसगांव में 73, गगहा में 79, बेलीपार में 51, गोला में 51, बड़हलगंज में 88, उरुवा बाजार में 40, बेलघाट में 28, खजनी में 75, सिकरीगंज में 48 और हरपुर बुदहट में 39 हिस्ट्रीशीटर हैं।
ये होते हैं हिस्ट्रीशीटर
बदमाश के आपराधिक इतिहास की फाइल को ही हिस्ट्रीशीट कहते हैं। अपराध की गंभीरता को देखते हुए बदमाशों की निगरानी के लिए हिस्ट्रीशीट खोली जाती है। बदमाश लगातार अपराध कर रहा हो तो निगरानी के लिए यह व्यवस्था होती है। बदमाश को पहले एक्टिव लिस्ट पर लाया जाता है, फिर उसकी निगरानी हिस्ट्रीशीट के माध्यम से होती है। इसके लिए थाने पर फ्लाई सीट रजिस्टर होता है। इसमें हिस्ट्रीशीटरों की इंट्री होती है।
हर हिस्ट्रीशीटर की निगरानी के लिए एक-एक सिपाही की ड्यूटी लगती है। नियमों के मुताबिक हिस्ट्रीशीटर को सप्ताह में एक बार थाने या चौकी पर आकर हाजिरी भी देनी होती है। अपराध की गंभीरता के हिसाब से हिस्ट्रीशीट खोली जाती है। मसलन, लूट, हत्या या डकैती जैसे जघन्य अपराध में दो ही केस पर हिस्ट्रीशीट खोली जा सकती है।
एसएसपी डॉ. विपिन ताड़ा ने कहा कि हिस्ट्रीशीटरों की लगातार निगरानी कराई जा रही है। इसका असर भी सामने आया है। कई हिस्ट्रीशीटर अपराध छोड़कर खेती या फिर दूसरे काम में लग गए हैं। अपराध में लिप्त हिस्ट्रीशीटरों को जेल भेजने की कार्रवाई जारी है जमानत पर बाहर आकर अपराध करने वालों के साथ ही जमानतदारों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है।
केस एक
गगहा थाने का हिस्ट्रीशीटर सुदामा यादव अपराध ही नहीं प्रदेश छोड़ चुका है। परिवार ने शपथपत्र देकर बताया कि वह दिल्ली में रहकर कपड़ा बेचने का काम करता है। अपराध से लंबे समय से दूरी बना चुका है। इतना ही नहीं, पुलिस के बुलाने पर परिवार वाले और दिल्ली से गांव आने पर खुद पुलिस के पास पहुंच कर बता देता है कि अपराध से अब कोई वास्ता नहीं है।
केस दो
चौरीचौरा थाने का हिस्ट्रीशीटर श्रवण भी अपराध छोड़कर पांच साल पहले ही लुधियाना चला गया। वहां कपड़ा फैक्ट्री में काम करता है। परिवार वाले पुलिस को शपथ पत्र देकर बता चुके हैं कि वह अपराध नहीं करता। लुधियाना की फैक्ट्री में काम करते हुए फोटो भी परिवार को भेजा था, ताकि पुलिस को दिखाया जा सके कि अपराध से कोसों दूर हैं।
केस तीन
रामगढ़ताल थाने का हिस्ट्रीशीटर राकेश उर्फ रक्कू अपराध छोड़कर अब ऑटो चलाकर परिवार का पालन-पोषण करता है। इसकी भी पुलिस ने नियमित निगरानी की और शपथ पत्र में लिखी बातें सही पाई गईं। पुलिस ने पाया कि यह अब दूसरों को समझाता है कि अपराध न करें।