✍️ विकास यादव
वाराणसी, 6 अप्रैल 2025, रविवार। काशी, जिसे भगवान महादेव की नगरी कहा जाता है, को उसके प्राचीन गौरव के अनुरूप सजाने-संवारने का सपना सात साल पहले हृदय योजना के तहत देखा गया था। इसी कड़ी में शहर की सड़कों को रोशन करने और उसकी शोभा बढ़ाने के लिए हेरिटेज पोल और लाइट्स लगाए गए। लेकिन आज, रखरखाव की कमी और सिस्टम की खामियों ने इस सपने को धूमिल कर दिया है। जो पोल कभी काशी के आकर्षण का केंद्र थे, वे अब खराब हालत में नगर निगम मुख्यालय के ग्राउंड में खुले आसमान तले पड़े हैं। हालत यह है कि नगर निगम इन्हें कबाड़ घोषित कर नीलामी की तैयारी में जुट गया है।
20 करोड़ का सपना, आधा अधूरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को नया रूप देने के लिए हृदय योजना के तहत 20 करोड़ रुपये की लागत से 5123 हेरिटेज पोल लगाए गए थे। गंगा के घाटों से लेकर गोदौलिया, अस्सी, कैंट, दशाश्वमेध, लहुराबीर, रविंद्रपुरी, लंका, जिला मुख्यालय और सर्किट हाउस जैसे प्रमुख इलाकों में ये पोल सड़कों और डिवाइडरों पर गर्व से खड़े थे। लेकिन समय के साथ इनकी चमक फीकी पड़ती गई। चार महीने पहले हुई जांच में खुलासा हुआ कि 275 से ज्यादा पोल खराब हो चुके हैं। कहीं पोल टूट गए, कहीं लाइट्स ने काम करना बंद कर दिया। कई जगहों से लैंप गायब हो गए तो कहीं असामाजिक तत्वों ने इन्हें नुकसान पहुंचाया। कुछ पोल से तो करंट उतरने की शिकायतें भी सामने आईं।
नीलामी की तैयारी
नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव के मुताबिक, अब 91 हेरिटेज पोल, 200 एलईडी प्लेट, 450 हेरिटेज ब्रैकेट और 97 एलईडी लाइट्स को निष्प्रयोज्य घोषित कर नीलाम करने की योजना है। उनका कहना है कि इन पोल की हालत ऐसी हो गई है कि इन्हें दोबारा कहीं लगाना संभव नहीं। हादसों का डर बना हुआ है। इसके अलावा, हेरिटेज पोल में लगने वाली एलईडी लाइट्स और उनके ब्रैकेट बाजार में आसानी से उपलब्ध भी नहीं हैं।
सोलर पोल: नई उम्मीद
हालांकि, पूरी कहानी निराशाजनक नहीं है। नगर निगम ने हेरिटेज पोल को नया जीवन देने की कोशिश शुरू की है। अब इनमें से कई पोल को सोलर लाइट्स से जोड़ा जा रहा है। संदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि सोलर प्लेट लगाकर इन पोल को सोलर पोल में बदला जा रहा है, जिससे बिजली की बचत भी होगी। पहले चरण में अंधरापुल से कचहरी तक के रास्ते में 300 से ज्यादा पोल को सोलर पोल में तब्दील किया जा चुका है। यह कदम न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि काशी की सड़कों को फिर से रोशन करने की दिशा में एक उम्मीद भी जगाता है।
क्या खो गया काशी का वैभव?
एक समय ये हेरिटेज पोल काशी की शान थे। पर्यटक और श्रद्धालु इनकी तारीफ करते नहीं थकते थे। लेकिन लापरवाही और देखरेख के अभाव ने इन्हें कबाड़ के ढेर में बदल दिया। सवाल यह है कि क्या 20 करोड़ रुपये का यह सपना यूं ही बिखर जाएगा, या सोलर पोल के जरिए काशी अपने पुराने वैभव को फिर से हासिल कर पाएगी? जवाब समय के साथ ही मिलेगा, लेकिन फिलहाल ये हेरिटेज पोल काशी की सड़कों से ज्यादा चर्चा नगर निगम के कबाड़खाने में बटोर रहे हैं।