दस दिनों से आंदोलित किसानों को केंद्र सरकार ने फिर से बातचीत के लिए बुलाया है और शांति की अपील की है। वहीं, दिल्ली कूच न कर पाने से चिंतित जरूर हैं, लेकिन उनके जोश में कमी नहीं है। शंभू सीमा से करीब 25 प्रतिशत लोग व ट्रैक्टर-ट्रालियां कम हो गई हैं। वहीं किसान नेताओं का कहना है कि खनौरी सीमा पर ज्यादा नुकसान होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग व वाहन उस तरफ चले गए हैं।
अगले आदेशों तक उससे भी ज्यादा संख्या में किसान-मजदूर बाॅर्डर पर डट जाएंगे। बृहस्पतिवार को मौके पर ही एक पोकलेन व एक जेसीबी मशीन ही मौजूद रही, जबकि भारी भरकम क्रेन, ट्रैक्टर व अन्य जेसीबी वहां पर नहीं दिखीं। हरियाणा के टोल बैरियर से शंभू सीमा तक जहां बुधवार को पांव रखने की जगह नहीं थी।अगले आदेशों तक उससे भी ज्यादा संख्या में किसान-मजदूर बाॅर्डर पर डट जाएंगे।
वीरवार को मौके पर ही एक पोकलेन व एक जेसीबी मशीन ही मौजूद रही, जबकि भारी भरकम क्रेन, ट्रैक्टर व अन्य जेसीबी वहां पर नहीं दिखीं। हरियाणा के टोल बैरियर से शंभू बॉर्डर तक जहां बुधवार को पांव रखने की जगह नहीं थी। वीरवार शाम तक वह वीरान नजर आ रहा था। थोड़े बहुत किसान बांधी गई रस्सी के नजदीक जरूर टहलते नजर आए। मंच पर किसान लगातार अपनी बात रखकर किसानों में जोश भरने का काम करते नजर आए।
सुनने वालों की भीड़ में भी कमी नजर आई। किसानों का दिल्ली कूच 13 फरवरी को शुरू हुआ था तभी से किसान पंजाब-हरियाणा सीमा पर जमे हुए हैं। किसान नेता केंद्र सरकार के मंत्रियों से चौथे दौर की बातचीत को भी नामंजूर कर चुके हैं। अब केंद्र की ओर से पांचवें दौर की बातचीत के लिए आमंत्रित कर शांति की अपील की गई है। शुक्रवार को किसान संगठनों की मीटिंग के बाद ही किसान नेता अपने पत्ते खोलेंगे। तब तक उनमें मंच से जोश भरा जा रहा है।