मुंबई, 29 मार्च 2025, शनिवार। महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के 26/11 आतंकी हमले में अपनी जान गंवाने वाले बहादुर पुलिस सब-इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबले की याद में एक स्मारक बनाने का ऐलान किया है। यह स्मारक उनके पैतृक गांव सतारा जिले के केदांबे में बनेगा, जहां इस वीर सपूत का जन्म हुआ था। तुकाराम ओंबले वही शख्स थे, जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। उनकी इस बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
इस स्मारक के लिए सरकार ने 13.46 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जिसमें से पहली किस्त के तौर पर 2.70 करोड़ रुपये प्रशासन को सौंप दिए गए हैं। यह स्मारक न सिर्फ तुकाराम की शहादत को सम्मान देगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी उनकी वीरता की कहानी से प्रेरणा लेने का मौका देगा।
तुकाराम की अदम्य वीरता
26 नवंबर 2008 की उस काली रात को तुकाराम ओंबले ने जो किया, वह किसी चमत्कार से कम नहीं था। गिरगांव चौपाटी पर आतंकी अजमल कसाब और उसके साथी इस्माइल खान को रोकते हुए उन्होंने निहत्थे ही कसाब की राइफल को जकड़ लिया। कसाब ने उन पर 23 गोलियां दागीं, जो उनके सीने को भेद गईं, लेकिन तुकाराम ने हार नहीं मानी। उनकी मजबूत पकड़ की वजह से कसाब अपनी बंदूक को हिला भी नहीं सका। इस साहस ने न सिर्फ कसाब को जिंदा पकड़ने में मदद की, बल्कि उनके साथी पुलिसकर्मियों की जान भी बचाई। इस हमले में तुकाराम शहीद हो गए, लेकिन उनकी वीरता अमर हो गई।
26/11 की वह भयावह रात
उस रात मुंबई पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। कसाब और इस्माइल ने पहले छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं, फिर कामा अस्पताल की ओर बढ़े। अस्पताल के कर्मचारियों ने सूझबूझ दिखाते हुए दरवाजे बंद कर दिए, जिससे आतंकी अंदर नहीं घुस सके। लेकिन बाहर मौजूद पुलिस टीम पर हमला हुआ, जिसमें आतंकवादी निरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख हेमंत करकरे सहित छह पुलिसकर्मी शहीद हो गए। इस हमले में हेमंत करकरे, अशोक कामटे, विजय सालस्कर, शशांक शिंदे, एनएसजी कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, हवलदार गजेंद्र सिंह बिष्ट और सीएसटी के तीन रेलवे अधिकारी जैसे कई वीरों ने अपनी जान गंवाई।
तुकाराम ओंबले का यह स्मारक उनकी शहादत और उस रात के सभी बलिदानियों को एक श्रद्धांजलि है। यह हमें याद दिलाता है कि देश की रक्षा के लिए कुछ लोग अपनी जान की बाजी लगाने से भी नहीं हिचकते।