N/A
Total Visitor
34.6 C
Delhi
Thursday, June 19, 2025

भाजपा अध्यक्ष पद की गुत्थी: संघ की सहमति या हाईकमान की जिद?

नई दिल्ली, 27 मार्च 2025, गुरुवार। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। हिंदू नव वर्ष में रामनवमी तक नए नाम की घोषणा का लक्ष्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने तय किया था, लेकिन भाजपा का हाईकमान अभी तक इस मसले पर एकमत नहीं हो पाया। संघ ने दो नामों को हरी झंडी दी थी, मगर पार्टी नेतृत्व ने मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाने के साथ नए नामों को जोड़कर सूची लंबी कर दी। नतीजा? अध्यक्ष पद की कुर्सी का फैसला अब तक अधर में लटका है।

संघ की बैठक और पीएम की रिटायरमेंट पर चर्चा

सूत्रों की मानें तो पिछले हफ्ते बेंगलूरु में हुई संघ की तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा में न सिर्फ भाजपा अध्यक्ष के नाम पर मंथन हुआ, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मानजनक रिटायरमेंट की तारीख—17 सितंबर 2025—को लेकर भी बातचीत हुई। यह वही उम्र सीमा (75 साल) है, जो पीएम मोदी ने संघ की सहमति से तय की थी। अब जब इस तारीख में महज छह महीने बाकी हैं, संघ और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर तैयारी शुरू हो गई है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस नीति के चलते ही लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और यशवंत सिन्हा जैसे दिग्गजों को मार्गदर्शक मंडल में जगह लेनी पड़ी थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सुमित्रा महाजन को पीछे हटना पड़ा, हालांकि उन्होंने अपनी सीट पर पार्टी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित की।

संघनिष्ठ अध्यक्ष की मांग

पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने साफ कहा, “अब जेपी नड्डा जैसा अध्यक्ष नहीं होगा। जो भी आएगा, वह संघनिष्ठ होगा।” उनका इशारा साफ है—भाजपा भले ही राजनीतिक ताकत बन चुकी हो, लेकिन संघ की सहमति के बिना बड़े फैसले संभव नहीं। संघ के दर्जनों अनुसांगिक संगठनों में भाजपा भी शामिल है, और योगी आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना इसका जीता-जागता उदाहरण है। चिन्मयानंद के मुताबिक, अगला अध्यक्ष हो या भावी पीएम, संघ की भूमिका निर्णायक रहेगी।

हाईकमान की चाल और चाणक्य की चाह

भाजपा के भीतर सूत्र बताते हैं कि पार्टी के “चाणक्य” पिछले एक साल से “चंद्रगुप्त” बनने की जुगत में हैं। 2014 से नंबर दो की कुर्सी पर काबिज यह शख्सियत अध्यक्ष पद पर अपना करीबी चाहती है। जेपी नड्डा का वह बयान—कि “भाजपा को अब किसी संगठन की जरूरत नहीं”—इसी सोच का नतीजा था। मगर 2024 के चुनाव में जब संघ ने दूरी बनाई, तो सीटें गिरीं और यह दावा हवा-हवाई साबित हुआ। बाद में गतिरोध खत्म हुआ, लेकिन अध्यक्ष पद का पेंच अब भी फंसा है।

दो नाम, दो चुनौतियां

संघ आज भी संजय जोशी और वसुंधरा राजे सिंधिया के नामों पर अड़ा है। इनमें से एक नाम पीएम मोदी को खटकता है, तो दूसरा गृह मंत्री अमित शाह को। रामनवमी के बाद नए अध्यक्ष की घोषणा का इंतजार अब भाजपा के लिए मौसम के तापमान की तरह गर्म सियासी मुद्दा बन गया है। क्या संघ अपनी बात मनवाएगा, या हाईकमान अपनी चाल चलेगा? यह सवाल भाजपा के भविष्य को नई दिशा दे सकता है। फिलहाल, सियासी पारा चढ़ता नजर आ रहा है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »