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Thursday, June 26, 2025

ईद की मिठास में सियासत का कड़वापन: मुख्तार अब्बास नकवी का अखिलेश और मौलानाओं पर हमला

नई दिल्ली, 31 मार्च 2025, सोमवार। ईद का त्योहार, जो मिठास, भाईचारे और सौहार्द का प्रतीक है, इस बार कुछ सियासी तड़के के साथ चर्चा में आ गया। न्यूज अड्डा इंडिया की एडिटर-इन-चीफ अनिता चौधरी के साथ खास बातचीत में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और कुछ कट्टरपंथी संगठनों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने ईद को “शाकाहारी त्योहार” करार देते हुए कहा कि यह मीठी सेवइयों और खुशियों का पर्व है, लेकिन कुछ लोग इसमें “मांसाहार का तड़का” और “सियासत का कड़वा स्वाद” घोलने की कोशिश कर रहे हैं।

नकवी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमात-ए-उलेमा और अन्य कट्टरपंथी संगठनों को आड़े हाथों लिया। उनका कहना था कि ये लोग अपने बयानों और कार्यों से ईद की पवित्रता को भंग करने की साजिश रच रहे हैं। वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ मस्जिदों में काला कपड़ा बांधकर नमाज पढ़ने की अपील पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, “ये चंद लोग मुस्लिम समाज के ठेकेदार नहीं हैं। ये कुंठित मानसिकता वाले वो कॉकरोच हैं, जो सांप्रदायिकता के कुएं में साजिश ढूंढते हैं और देश के सौहार्द को तोड़ने का सपना देखते हैं।” उन्होंने दावा किया कि न तो वे और न ही देश का मुस्लिम समाज ऐसी साजिशों को कामयाब होने देगा।

अखिलेश यादव पर हमला करते हुए नकवी ने कहा कि जब पूरा देश नवरात्रि और ईद को एक साथ बड़े प्रेम और सम्मान के साथ मना रहा है, तब कुछ सियासतदानों को यह एकता रास नहीं आ रही। अखिलेश ने ईद के मौके पर ऐशबाग ईदगाह में पुलिस द्वारा रोके जाने का आरोप लगाकर सियासी ड्रामा रचा, जिसे नकवी ने “ईद की मिठास में कड़वाहट घोलने की कोशिश” करार दिया।

दूसरी ओर, वक्फ बिल के खिलाफ काला कपड़ा बांधने की अपील का असर बेहद कम दिखा। ज्यादातर मस्जिदों में शांति से नमाज अदा की गई। जहां जयपुर में हिंदू समाज ने नमाजियों पर फूल बरसाकर भाईचारे की मिसाल पेश की, वहीं संभल, सहारनपुर और भोपाल में कुछ लोग सड़कों पर विरोध करते नजर आए। लेकिन कुल मिलाकर, देश ने सौहार्द के साथ त्योहार मनाया।

अंत में नकवी ने भारत की एकता को ईद की बधाई दी और कहा, “कोई भी बुरी ताकत कितनी भी कोशिश कर ले, इस देश की मजबूत एकता को खरोंच भी नहीं लगा सकती।” यह बातचीत न सिर्फ ईद की खुशियों को दर्शाती है, बल्कि सियासत के उस कड़वे तड़के को भी उजागर करती है, जिसे देश का आम नागरिक नकार रहा है।

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