राजतंत्र और हिंदू राष्ट्र की पुनर्स्थापना की मांग को लेकर नेपाल में उग्र होते आंदोलन के मध्य वहां के राजदूत डा. शंकर प्रसाद शर्मा का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने आना सिर्फ शिष्टाचार भेंट नहीं है। भारत और नेपाल का रोटी-बेटी का रिश्ता रहा है और गोरखपुर इसकी महत्वपूर्ण कड़ी है।
नेपाल से गोरखनाथ मठ का सीधा जुड़ाव रहा है। नाथ परंपरा को मानने वाले बड़ी संख्या में वहां रहते हैं और मकर संक्राति पर मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा में भी शामिल होते हैं।
योगी से राजदूत की मुलाकात सांस्कृतिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे कुछ समूहों के लिए इसके प्रतीकात्मक मायने भी हैं। दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि से भी यह मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
सोमवार को लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर मुख्यमंत्री योगी से हुई भेंट को राजदूत शर्मा ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट के माध्यम से सुखद बताकर यहां से जुड़ाव को रेखांकित किया। उन्होंने लिखा-‘ नेपाल-भारत संबंधों से जुड़े कई मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
गोरखपुर में गोरखा संग्रहालय की शुरुआत करने के लिए उन्हें विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं।’ प्रदेश सरकार ने भले ही इसे शिष्टाचार भेंट बताया लेकिन नेपाली मीडिया के मुताबिक, बैठक में नेपाल में राजशाही समर्थक समूहों द्वारा हाल ही में किए गए हिंसक विरोध-प्रदर्शनों पर भी चर्चा हुई है।
प्रदर्शन में दो लोगों की मौत
शुक्रवार को काठमांडू में हिंसक आंदोलन के दौरान पुलिस से संघर्ष में दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे।पूर्व नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र के स्वागत में पिछले दिनों त्रिभुवन हवाई अड्डे पर उमड़ी भीड़ के बीच योगी आदित्यनाथ का पोस्टर भी लहराया गया था। पुलिस के पीछा करने पर पोस्टर लहराने वाला व्यक्ति भागकर गोरखपुर आया था। उसने अपना नाम प्रमोद विक्रम राणा बताया और इस बात से इन्कार किया था कि वह मुख्यमंत्री योगी से परिचित है।नेपाल को पुन: हिंदू राष्ट्र बनाए जाने के प्रबल समर्थक होने का दावा करते हुए कहा था कि इसी भावना में पूर्व नेपाल नरेश की स्वागत रैली में योगी का पोस्टर लहराया था। इससे पूर्व 30 जनवरी को पूर्व नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र व्यक्तिगत दौरे पर गोरखपुर पहुंचे थे और अगले दिन गोरखनाथ मंदिर जाकर दर्शन-पूजन भी किया था।