संभल, 17 दिसंबर 2024, मंगलवार। संभल जिले का वह दर्दनाक दिन, जब 1978 में हुए दंगे ने पूरे इलाके को बदल दिया था। उस दिन की यादें आज भी लोगों के दिलों में ताज़ा हैं। लोगों की चीत्कार, आसमान में धुओं का गुब्बार, सड़कों पर ढेला-पत्थरों का अंबार, यह नजारा था उस दिन का। उस दंगे को हुए 46 साल बीत चुके हैं, लेकिन जिनपर ये दंगा बीता है, वो आज भी इसको याद कर सिहर जाते हैं। उस दंगे ने पूरे इलाके को बदल दिया था। जहां केवल हिंदू रहते थे, अब वहां कोई नहीं है। आलम यह था कि लोग घरों में ताले लगाकर चले गए। यहां तक की घर में बने मंदिर पर भी ताला जड़ गया। हालांकि मंदिर को लेकर अलग-अलग दावे हैं, ऐसे में कुछ भी कहना सही नहीं होगा। लेकिन 1978 के दंगे की कहानी के बारे में पीड़ित जब भी बताते हैं, आंखें छलछला जाती हैं। उस दंगे ने पूरे इलाके को बदल दिया था और आज भी उसकी यादें लोगों के दिलों में ताज़ा हैं।
संभल में छुपा हुआ मंदिर मिला, 40 साल बाद खुला भगवान शिव का यह मंदिर
संभल में एक पुराने घर में एक छुपा हुआ मंदिर मिला है, जो कई वर्षों से बंद पड़ा था। इस मंदिर की खोज बिजली चेकिंग के दौरान हुई थी। प्रशासन ने मंदिर की साफ-सफाई करवाई और फिर पूजा-अर्चना शुरू हुई। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और लोगों ने इसका नाम संभलेश्वर मंदिर रखा है। मंदिर के खुलते ही लोगों में उत्साह और खुशी का माहौल है और वे दर्शन करने आ रहे हैं। यह मंदिर शाही जामा मस्जिद से केवल दो किलोमीटर की दूरी पर है।
संभल के दंगों की दर्दनाक याद: 1978 के दंगों में जलाए गए घर और दुकानें, अब मंदिर में पूजा की
संभल के खग्गू सराय निवासी विष्णु शरण रस्तोगी ने कई साल बाद अपने कुल के मंदिर में पूजा की। उन्होंने बताया कि 1978 के दंगों में हिंदू परिवारों को निशाना बनाया गया था, जिसमें उनके घर और दुकानें जला दी गईं थीं। लोगों को जिंदा जलाया गया था और इसके बाद इलाके में दहशत का माहौल हो गया था। इसके बाद हिंदू परिवार डर और दहशत से बचने के लिए अपने मकान को सस्ते दामों में बेचकर चले गए थे। विष्णु शरण रस्तोगी ने मंदिर के आसपास बने अवैध निर्माण को लेकर कहा कि इसे प्रशासन को हटाना चाहिए और परिक्रमा मार्ग खुलने चाहिए।
संभल के उस इलाके की दर्दनाक कहानी, जहां 1978 के दंगे ने बदल दिया था सब कुछ
स्थानीय लोगों ने बताया कि 1978 के दंगे से पहले यह इलाका हिंदू परिवारों से भरा पड़ा था। उनके घर और धर्मशाला यहां पर थे, जो शादी विवाह के काम आती थी। लेकिन दंगे के बाद सब कुछ बदल गया। उन्होंने बताया कि दंगे के दौरान यहां पर कई घर जला दिए गए थे और लोगों को अपने घरों को छोड़कर जाना पड़ा था। इसके बाद यह इलाका लगभग वीरान हो गया था। लोगों ने बताया कि धर्मशाला और घरों को बेचकर लोग चले गए थे। अब यह इलाका पूरी तरह से बदल गया है और यहां पर अब केवल कुछ ही घर बचे हैं।