श्रीनगर, 25 अप्रैल 2025, शुक्रवार: जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों में एक बार फिर आतंक का साया मंडरा रहा है। खुफिया सूचनाओं ने सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर ला दिया है। आतंकवादी संगठन घाटी में बड़े हमले की साजिश रच रहे हैं, और उनके निशाने पर हैं रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर, कश्मीरी पंडित, गैर-स्थानीय मजदूर और सुरक्षा कर्मी।
आतंक की नई साजिश
खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट्स के मुताबिक, आतंकवादी रेलवे नेटवर्क को निशाना बनाकर जम्मू-कश्मीर के विकास को पटरी से उतारने की योजना बना रहे हैं। हाल ही में चेनाब और अंजी ब्रिज के जरिए कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ा गया है, और जल्द ही इन रास्तों पर वंदे भारत ट्रेन दौड़ने वाली है। लेकिन आतंकी इस प्रगति को विस्फोटों के जरिए रोकना चाहते हैं। खबर है कि 29 अप्रैल को पीएम मोदी द्वारा इस रेल परियोजना का उद्घाटन होना था, जो खराब मौसम के कारण टल गया।
पहलगाम हमले ने बढ़ाई चिंता
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पहले ही घाटी में दहशत फैला दी थी। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस घटना के बाद मिले खुफिया इनपुट्स ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। आतंकियों की नजर अब न केवल रेलवे ढांचे पर है, बल्कि कश्मीरी पंडितों, गैर-स्थानीय कर्मचारियों और सुरक्षा बलों पर भी है।
रेलवे कर्मियों को चेतावनी
रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर आतंकियों के लिए आसान निशाना बन सकता है, क्योंकि घाटी में काम करने वाले कई रेलवे कर्मचारी गैर-स्थानीय हैं। इन कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से बैरकों से बाहर निकलने और स्थानीय बाजारों में जाने से मना किया गया है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को स्थानीय पुलिस और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखने और आतंकी योजनाओं को नाकाम करने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
कश्मीरी पंडितों पर खतरा
खुफिया सूचनाओं ने यह भी खुलासा किया है कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई श्रीनगर और गंदेरबल जिलों में कश्मीरी पंडितों और पुलिसकर्मियों पर हमले की साजिश रच रही है। स्थानीय लोगों के भेष में आतंकी इन समुदायों को निशाना बना सकते हैं। कश्मीरी पंडितों और पुलिस को किसी भी अनजान व्यक्ति या संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत सुरक्षा बलों से संपर्क करने की सलाह दी गई है।
सुरक्षा बलों की मुस्तैदी
घाटी में सुरक्षा बलों ने चप्पे-चप्पे पर नजर रखनी शुरू कर दी है। महत्वपूर्ण स्थानों पर चौकसी बढ़ा दी गई है, और चेक पोस्ट की संख्या में इजाफा किया गया है। रेलवे परियोजनाओं को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए आरपीएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं।
विकास के खिलाफ आतंक की जंग
जम्मू-कश्मीर में रेलवे और अन्य विकास परियोजनाएं घाटी को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रतीक हैं। लेकिन आतंकी संगठन इन प्रयासों को बाधित करने के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं। सुरक्षा बलों की सतर्कता और स्थानीय लोगों का सहयोग ही इन नापाक मंसूबों को नाकाम कर सकता है।
जम्मू-कश्मीर की शांति और प्रगति को बनाए रखने के लिए सुरक्षा बल दिन-रात एक किए हुए हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या आतंक का यह साया घाटी के उज्ज्वल भविष्य को धूमिल कर पाएगा, या भारत की अटल इच्छाशक्ति इसे हर बार परास्त करेगी?