वाराणसी, 16 दिसंबर 2024, सोमवार। वाराणसी के कचहरी इलाके में एक बड़ा मुद्दा है, जहां शहर के आला अधिकारियों के आने-जाने वाले इलाके में रोजाना एक लाख से अधिक रुपये की अवैध वसूली हो रही है। यह सब पुलिस की शह पर हो रहा है, और इसके खिलाफ किसी की बोलने की हिम्मत नहीं है। वर्किंग डे पर इन सड़कों पर स्टैंड माफिया का ही राज चलता है, और वे इतने दबंग हैं कि कचहरी पुलिस चौकी के ठीक सामने जिला और सत्र न्यायालय के मेन गेट को भी पार्किंग स्टैंड बना दिया है। इसके चलते गेट हमेशा बंद रहता है, और सड़क पर खड़े वाहनों से लड़ने-भिड़ने के बाद ही कचहरी परिसर में एंट्री हो पाती है।

जिला एवं सत्र न्यायालय के सामने।अवैध पार्किंग
हालांकि, वाराणसी के कचहरी इलाके में अवैध वाहन स्टैंड चलाने वालों के खिलाफ ट्रैफिक पुलिस ने सोमवार को अभियान चलाया। कई गाड़ियों को क्रेन से उठाकर पुलिस लाइन ले जाया गया। एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने कहा कि अवैध वाहन स्टैंड चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बता दें, कचहरी के आसपास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सरकारी दफ्तर हैं, जिनमें कलेक्ट्रेट, कमिश्नरी, विकास भवन, सर्किट हाउस और जिला पंचायत शामिल हैं। इन दफ्तरों में रोजाना लगभग 10 हजार से अधिक लोग काम के सिलसिले में आते हैं। इस क्षेत्र में पांच हजार से अधिक वाहन खड़े होते हैं, जिनमें से अधिकांश वाहन कचहरी के दो तरफ, विकास भवन जाने वाले रूट और SBI के सामने खड़े होते हैं। इसके अलावा, पुलिस चौकी, बनारस क्लब के बाहर, SBI के सामने, कमिश्नर ऑफिस से लेकर विकास भवन तक 5 हजार से अधिक वाहन खड़े होते हैं। इन वाहनों की पार्किंग के नाम 20 रुपए वसूले जाते हैं, जिससे 5 हजार वाहनों से 1 दिन में 1 लाख की वसूली होती है।

कचहरी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सामने बीच सड़क पर अवैध स्टैंड
कचहरी परिसर के अंदर एक वाहन स्टैंड है, जहां दो हजार बाइक खड़ी होती हैं। लेकिन यहां सिर्फ वकील ही अपनी गाड़ियां फ्री में खड़ी कर सकते हैं। जैसे ही कचहरी खुलती है, यह जगह मिनटों में भर जाती है। इसके कारण कचहरी आने वाले लोगों को सड़क किनारे वाहन खड़ा करना पड़ता है, जो वाहन स्टैंड माफिया के लिए एक मौका बन जाता है। सिर्फ यहीं नहीं, कचहरी इलाके में वाहन संचालकों को दी जाने वाली पर्ची भी फर्जी है। नगर निगम ने इस पर्ची को फेक करार दिया है। नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि यह पर्ची वाहन की सुरक्षा के नाम पर दी जाती है, लेकिन यह पर्ची असली नहीं है। नगर निगम ने दो पहिया वाहन के लिए 10 रुपए तय किए हैं, लेकिन यहां मिलने वाली पर्ची 20 रुपए की होती है।

ये है नगर निगम के नाम से जारी फर्जी पर्ची, जो स्टैंड माफिया आधी रोड पर गाड़ी खड़ी कराकर देते हैं।
सर्किट हाउस की जमीन पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत एक अंडर ग्राउंड पार्किंग बनाई गई है। लेकिन इसके बावजूद, स्टैंड माफिया ने सर्किट हाउस के सामने से लेकर विकास भवन, SBI के सामने तक सड़क पर कब्जा कर लिया है और अवैध रूप से वाहन स्टैंड चला रहे हैं। यहां तक कि अपशिष्ट गृह के सामने भी वाहन स्टैंड लगा दिया जाता है। नगर निगम ने माना है कि कचहरी इलाके में बांटी जा रही वाहन पर्ची फर्जी है। नगर निगम का कहना है कि कचहरी पर वाहन स्टैंड का टेंडर प्रक्रिया में है। लेकिन सवाल यह है कि अगर टेंडर ही नहीं है तो नगर निगम ने अब तक स्टैंड माफिया के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की?

इस तरह आधी रोड पर डिवाइडर चेन कराकर पुलिस की मिलीभगत से गाड़ियां खड़ी कराई जा रही हैं।
लोकल पुलिस की भूमिका भी संदेहास्पद है, क्योंकि वे स्टैंड माफिया के साथ मिलकर उन्हें सारी सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं। पुलिस की तरफ से ही रोड डिवाइडर चेन दी जाती है ताकि सड़क को पार्किंग स्टैंड बनाया जा सके। और अगर कोई वाहन स्टैंड माफिया की जगह से अलग दूसरी जगह खड़ा होता है, तो पुलिस तुरंत सक्रिय हो जाती है और चालान काटे जाते हैं या फिर अवैध स्टैंड में गाड़ी खड़ी करने को लोग मजबूर होते हैं। कचहरी इलाके में पुलिस चौकी के आसपास नो पार्किंग के बोर्ड लगे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां अवैध पार्किंग का खेल चलता रहता है। 24 घंटे में 100 से अधिक पुलिसकर्मी इलाके में घूमते रहते हैं, लेकिन वे अवैध पार्किंग के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते। ट्रैफिक पुलिस भी यहां आम नागरिकों का चालान काटने के बजाय तमाशबीन बनी रहती है।

सर्किट हाउस की ये अंडरग्राउंड पार्किंग है। यहां जगह होने के बाद भी रोड पर पुलिस की मिलीभगत से गाड़ियां पार्क कराई जाती हैं।