N/A
Total Visitor
31 C
Delhi
Monday, June 30, 2025

तीखे सवालों पर आपदा सचिव ने कहा- जरूरत पड़ी तो ज्योतिर्मठ को भी कराया जाएगा विस्थापित

जोशीमठ के अस्तित्व को लेकर कई तरह के सवाल और शंकाएं हैं। सरकार उन्हें शांत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन संतोषजनक जवाब अभी उसके पास भी नहीं है। इसके लिए वैज्ञानिक संस्थाओं की रिपोर्ट का इंतजार है। ऐसे में पूरे मामले को लीड कर रहे सचिव आपदा प्रबधंन डॉ. रंजित सिन्हा से हमारे वरिष्ठ संवाददाता विनोद मुसान ने विभिन्न पहलुओं पर बातचीत की। पेश हैं कुछ प्रमुख अंश-

प्रश्न: 14 महीने से विरोध हो रहा था। स्थानीय लोग चेतावनी दे रहे थे। अब जब मुसीबत सिर पर आ खड़ी हुई है, तब आपदा प्रबंधन जागा?-बीते साल जून-जुलाई में इस समस्या के साथ स्थानीय लोग मुझसे मिलने आए थे। मैंने तत्काल शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों की एक टीम बनाकर अगस्त में उन्हें जोशीमठ भेजा। सितंबर में रिपोर्ट मिल गई थी। टीम ने जोशीमठ में ड्रेनेज प्लान, सीवरेज सिस्टम, निर्माण की गाइड लाइन को बदलने जैसी संस्तुतियां दी थीं जिस पर हमने काम शुरू कर दिया था।

प्रश्न- लेकिन वह काम जमीन पर तो कहीं नहीं दिखा?-

ये बड़ा काम है। इसमें वक्त लगता है। सीवरेज सिस्टम के लिए नमामि गंगे के साथ मिलकर कार्ययोजना बनाई गई। पेयजल विभाग को लाइन बिछाने और घरों को जोड़ने के निर्देश दिए गए थे। डीपीआर बनाने के साथ ही टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी। अलकनंदा के तट पर टो-इरोजन के लिए भी डीपीआर बनाने का काम शुरू किया गया। इसके बाद 2 जनवरी को भू-धंसाव की समस्या अचानक से बड़े स्वरूप में सामने आ गई। इसके बाद हमारी प्राथमिकताएं बदल गईं।

प्रश्न- वह डीपीआर आज तक नहीं बनी?-

इस बीच हालात बिगड़ गए। डीपीआर आज कल में आ जाएगी।

प्रश्न: मिश्रा रिपोर्ट की चेतावनी तो 1976 में आ गई थी। एक्शन में तो बहुत पहले आ जाना चाहिए था?-

बिल्कुल सही है यह कार्रवाई बहुत पहले शुरू हो जानी चाहिए थी। उपचार किया जाना चाहिए था, लेकिन पहले की मैं नहीं जानता। जब यह बात मेरे संज्ञान में आई, हम तुरंत आगे बढ़े। दस दिन के भीतर जोशीमठ को सुरक्षा के घेरे में ले लिया गया। आप देख रहे हैं। हर स्तर पर सरकार ने तेजी दिखाई है।

प्रश्न: अब तक आई हर रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ की जमीन अब सुरक्षित नहीं है, फिर बार-बार पुर्निर्माण की बात क्यों हो रही है? हम विस्थापन या पुनर्वास की बात क्यों नहीं कर रहे हैं?-दोनों बातों पर हमारा ध्यान है। हम जोशीमठ को उसके हालात पर भी नहीं छोड़ सकते। लोगों को विस्थापन करने के बाद जोशीमठ को बचाने के लिए जो भी कार्रवाई करनी पड़े, हम करेंगे। जोशीमठ का अपना एक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, उसे ऐसे ही उसके हाल पर नहीं छोड़ सकते। अगर हमने जोशीमठ को ऐसे ही छोड़ दिया तो पूरे देश में एक गलत संदेश जाएगा।

प्रश्न- ज्योतिर्मठ और मठागंण (शंकराचार्य गद्दी स्थल) में भी दरारें हैं, क्या मठ को भी विस्थापित किया जाएगा?- जी हां, मठों में भी दरारें आई हैं। जरूरत पड़ी तो उन्हें भी शिफ्ट किया जाएगा। दरारों पर नजर रखी जा रही है। यदि उनमें वृद्धि होती है और रहने के लिहाज से असुरक्षित लगे तो निश्चित तौर पर उन्हें भी शिफ्ट किया जाएगा। इसमें कोई संशय नहीं है।

प्रश्न: औली-जोशमठ रोपवे क्षेत्र में भी दरारें हैं, रापवे नहीं चलेगा तो विंटर गेम्स कैसे होंगे? पर्यटन पर इसका क्या असर पड़ेगा- यह बात सही है कि रोपवे क्षेत्र में बड़ी दरारें आई हैं। रोपवे प्लेटफार्म में भी दरारें आई हैं। जब तक तकनीकी विशेषज्ञों की रिपोर्ट नहीं मिल जाती, तब तक आपदा प्रबंधन विभाग रोपवे को चलाने की अनुमति नहीं दे सकता है। विंटर गेम्स होंगे या नहीं इस बारे में पर्यटन विभाग ही बेहतर बता पाएगा।

प्रश्न: बदरीनाथ हाईवे पर भी दरारें आई हैं। यह सामरिक महत्व की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण सड़क है। हाईवे के पूरा धंसने की स्थिति में सरकार के पास क्या विकल्प है?

– बदरीनाथ यात्रा सिर्फ उत्तरखंड नहीं पूरे देश का भी विषय है। इस संबंध में मुख्यमंत्री का साफ आदेश है कि यात्रा नहीं रुकेगी। वैज्ञानिकों संस्थाओं की रिपोर्ट का इंतजार है। यात्रा जरूर होगी। कोई न कोई राह जरूर निकलेगी।प्रश्नः जोशीमठ में भू-धंसाव से बनी बरारों को मलबे से पाटा जा रहा है, क्या यह वैज्ञानिक रूप से सही है? क्या यह पैसे की फिजूलखर्ची नहीं है?

– मलबे से नहीं बेंटोनाइट तकनीकी से भरा जा रहा है, जिसमें एक विशेष प्रकार की क्ले को मिट्टी के साथ भरा जाता है। हम जानते हैं यह स्थायी उपचार नहीं है, लेकिन बारिश के पानी को जमीन में जाने से बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। पानी के जमीन में जाने से ज्यादा दिक्कत हो सकती है।

प्रश्न: पुनर्वास के प्रश्न पर क्या प्रगति है? क्या कोई जगह अब तक पक्के तौर पर फाइनल हो पाई है?- मोटे तौर पर चार स्थानों को विस्थापन के लिए चिह्नित किया गया था। पीपलकोटी में अच्छी जमीन थी, लेकिन वहां कुछ व्यवहारिक दिक्कतें सामने आ रही हैं। फिलहाल पीपलकोटी को होल्ड पर रखा गया है। उद्यान विभाग और ढाक की जमीन दोनों जगह उपयुक्त पाई गई हैं।लोगों को राहत पैकेज के साथ उनकी सुरक्षित जमीन पर मकान बनाकर भी दे सकते हैं, लोगों के सामने विकल्प रखे जाएंगे।

प्रश्न: तकनीकी संस्थानों की रिपोर्ट के बाद की क्या प्लानिंग है?

– हम कोई भी फैसला हड़बड़ी या जल्दबाजी में नहीं करना चाहते हैं। जोशीमठ पर पहले भी अध्ययन हुए हैं, लेकिन वह सब बाहरी तौर पर जो आंखों ने देखा, उसके आधार पर थे। पहली बार वैज्ञानिक तौर पर नई तकनीक के उपकरणों के साथ अध्ययन किए जा रहे हैं। इसलिए हम बार-बार कह रहे हैं, तकनीकी संस्थानों की रिपोर्ट मिलने के बाद नीतिगत फैसले लिए जाएंगे। ताकि भविष्य में कोई और दिक्कत न हो।

प्रश्नः जोशीमठ के प्रभावित लोग सरकार पर कितना भरोसा करें?

उत्तरः शतप्रतिशत, मैं बहुत जिम्मेदारी से यह बात कहना चाहता हूं कि जोशीमठ के लोगों का किसी भी स्तर पर अहित नहीं होने दिया जाएगा।

newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »