नई दिल्ली, 24 मार्च 2025, सोमवार। देश की वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ से एक तीखी और विचारोत्तेजक बातचीत की। इस साक्षात्कार में चुघ ने विपक्षी नेताओं, खासकर आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। यह साक्षात्कार राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप, वादों की हकीकत और भारत की मौजूदा चुनौतियों पर एक गहरी नजर डालता है।
केजरीवाल के आरोपों का जवाब
अनिता चौधरी ने सबसे पहले चुघ से आप नेता अरविंद केजरीवाल के उस आरोप पर सवाल किया, जिसमें उन्होंने बीजेपी पर महिलाओं को 2500 रुपये देने का वादा पूरा न करने का आरोप लगाया था। जवाब में तरुण चुघ ने तीखा पलटवार करते हुए कहा, “मोदी की गारंटी का मतलब है गारंटी पूरा होने की गारंटी।” उन्होंने केजरीवाल पर पलटवार करते हुए कहा कि दिल्ली में अभी उनकी सरकार को 37 दिन भी पूरे नहीं हुए और वह सवाल उठा रहे हैं, जबकि पंजाब में आप की सरकार को 37 महीने हो गए, लेकिन वहां किए गए वादे—किसानों को एमएसपी पर टॉपअप, कर्ज माफी, महिलाओं को 1100 रुपये और हर घर को नौकरी—आज तक पूरे नहीं हुए। चुघ ने आप की पंजाब सरकार को “निठल्ली, नसुखिया, नासमझ और नालायक” करार देते हुए कहा कि पंजाब दर्द से कराह रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान अपने “आका” केजरीवाल की खातिरदारी में व्यस्त हैं।
राहुल गांधी पर हमला: “मंद बुद्धि बालक”
बातचीत का दूसरा हिस्सा कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर केंद्रित रहा। अनिता चौधरी ने बताया कि राहुल गांधी ने जंतर-मंतर पर छात्रों से संवाद में बीजेपी पर बेरोजगारी और छात्रों के मुद्दों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। इस पर चुघ ने राहुल को “मंद बुद्धि बालक” कहकर तंज कसा और दावा किया कि न तो उनकी पार्टी और न ही जनता उन्हें गंभीरता से लेती है। उन्होंने कहा, “जो भी बोलते हैं, झूठ बोलते हैं। इटली का चश्मा लगाकर भारत को देखेंगे तो कुछ दिखेगा नहीं।” चुघ ने राहुल पर संविधान और भारतीय संस्थानों का अपमान करने का आरोप लगाया।
चुघ ने यह भी पूछा कि कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने संविधान बदलने और एससी, एसटी, ओबीसी के आरक्षण को मुस्लिमों को देने की बात कही, लेकिन राहुल इस पर चुप क्यों हैं? उन्होंने इसे कांग्रेस की दोहरी नीति करार दिया।
शिक्षण संस्थानों पर आरएसएस का कब्जा?
अनिता चौधरी ने राहुल के उस आरोप को भी उठाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शिक्षण संस्थानों पर कब्जा कर लिया है। चुघ ने इसे “मानसिक दिवालियापन” करार देते हुए कहा कि सभी नियुक्तियां नियमों के तहत होती हैं और विद्वान लोग ही इन पदों पर बैठते हैं। उन्होंने राहुल पर देश, उसके संस्थानों और संविधान का मजाक उड़ाने की आदत का आरोप लगाया। चुघ ने तंज कसते हुए कहा, “इटली का चश्मा उतारिए, तब आपको बढ़ता हुआ भारत, विकसित भारत और आगे बढ़ती शिक्षा निधि दिखाई देगी।”
यह साक्षात्कार भारतीय राजनीति के मौजूदा माहौल की एक झलक पेश करता है, जहां आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। तरुण चुघ ने बीजेपी के पक्ष को मजबूती से रखा, वहीं विपक्ष पर तीखे हमले किए। अनिता चौधरी के सवालों ने चर्चा को गहराई दी, जिससे पाठकों को दोनों पक्षों के तर्कों पर विचार करने का मौका मिलता है। यह बातचीत न केवल राजनीतिक बहस को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत के सामने शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर अभी लंबा सफर तय करना बाकी है।