नई दिल्ली, 1 जून 2025, रविवार: कोलकाता की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया की गलियों तक, एक नया विवाद गरमा रहा है! इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर और पुणे की लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। वजह? उनका एक वीडियो, जिसमें उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर बॉलीवुड सितारों की चुप्पी पर तीखे सवाल उठाए थे। इस वीडियो को भड़काऊ और सांप्रदायिक करार देते हुए कोलकाता पुलिस ने शर्मिष्ठा को गुरुग्राम से धर दबोचा और कोलकाता लाकर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। लेकिन ये गिरफ्तारी अब एक सियासी ज्वालामुखी बन चुकी है!
“सिर्फ सनातनियों पर क्यों गाज?” – सुवेंदु अधिकारी का तीखा वार
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी के फायरब्रांड नेता सुवेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार पर जमकर हमला बोला। उनका कहना है कि TMC सरकार सनातनियों को चुन-चुनकर निशाना बना रही है, जबकि अपने नेताओं—जैसे महुआ मोइत्रा और सायोनी घोष—के खिलाफ दर्ज FIR पर आँखें मूंदे बैठी है। सुवेंदु का सवाल है, “क्या ये इंसाफ का दोहरा रवैया नहीं?”
पवन कल्याण का दमदार समर्थन
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना प्रमुख पवन कल्याण ने भी इस मामले में अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने कहा, “धर्मनिंदा की निंदा जरूरी है, लेकिन धर्मनिरपेक्षता का नाटक एकतरफा नहीं चलेगा!” पवन ने कोलकाता पुलिस से निष्पक्षता की गुहार लगाई, जिससे ये मामला और गर्म हो गया।
कांग्रेस भी मैदान में!
इस बीच, कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इस गिरफ्तारी को ‘पुलिस की तानाशाही’ करार दिया। उनका कहना है कि एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए किसी को अंतरराज्यीय तरीके से गिरफ्तार करना ताकत का दुरुपयोग है। कार्ति ने सवाल उठाया, “क्या ये कार्रवाई तब तक जायज है, जब तक कोई तात्कालिक खतरा साबित न हो?”
शर्मिष्ठा ने मांगी थी माफी, फिर भी नहीं बनी बात
शर्मिष्ठा ने गिरफ्तारी से पहले विवादित वीडियो हटा लिया था और सोशल मीडिया पर माफी भी मांगी थी। लेकिन पुलिस का कहना है कि कई बार कानूनी नोटिस देने की कोशिश नाकाम रही, जिसके बाद कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया। अब सवाल ये है—क्या ये कार्रवाई जरूरी थी, या ये सनातनियों के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है?
सियासत का रंगमंच और जनता की नजर
शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी ने न सिर्फ सोशल मीडिया, बल्कि सियासी गलियारों में भी आग लगा दी है। जहां एक तरफ NDA नेता इसे सनातनियों पर हमले के रूप में देख रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर चोट बता रहा है। इस पूरे ड्रामे में जनता की नजर अब कोर्ट और पुलिस के अगले कदम पर टिकी है। क्या ये मामला और तूल पकड़ेगा, या शांत हो जाएगा? समय ही बताएगा!