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Friday, November 22, 2024

नॉर्थ सी रूट को लेकर भारत और रूस में हुई बातचीत, ये समुद्री रास्ता हो सकता है गेमचेंजर साबित

रूस की सरकारी एटॉमिक एनर्जी कॉरपोरेशन रोसातोम के सीईओ ने खुलासा किया है कि भारत और रूस के बीच थर्मोन्यूक्लियर फ्यूजन और नॉर्थ सी रूट को संयुक्त रूप से विकसित करने की बात हो रही है। रोसातोम के सीईओ ए ई लिखाचेवा ने कहा कि भारत और रूस के बीच आने वाले समय में परमाणु तकनीक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ने की संभावना है और इसमें गैर ऊर्जा और गैर-परमाणु क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा। 

गेमचेंजर साबित होगा नॉर्दन सी रूट 
लिखेचेवा ने बताया कि भारत और रूस के बीच नॉर्दन सी रूट को साथ मिलकर विकसित करने को लेकर भी बातचीत हो रही है। अभी रूसी कंपनी रोसातोम ही इस रूट को विकसित करने का काम कर रही है। इस रूट की मदद से रूस का तेल, कोयला और एलएनजी भारत जल्दी पहुंच सकेगी। साथ ही इस रूट से एशिया की यूरोप से दूरी भी कई हजार किलोमीटर कम हो जाएगी। लिखेचोवा ने बताया कि हम यूरो-एशियन कंटेनर ट्रांजिट प्रोजेक्ट के फ्रेमवर्क पर सहयोग के विकल्प तलाश रहे हैं।

अब पश्चिम से पूर्व के बीच अंतरराष्ट्रीय व्यापार वेस्ट-ईस्ट ट्रांजिट रूट से होता है। इसकी दूरी 21 हजार किलोमीटर है और इस रूट से एशिया से यूरोप तक सामान भेजने में करीब एक महीने का समय लगता है। नॉर्दन सी रूट के विकसित होने के बाद यह दूरी घटकर 13 हजार किलोमीटर रह जाएगी और सामान भेजने में भी एक महीने के बजाय सिर्फ दो हफ्ते का समय लगेगा। नॉर्दन सी रूट से व्यापारिक गतिविधियां तेज होंगी और इसका अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। 

परमाणु क्षेत्र में भारत-रूस में सहयोग की काफी संभावनाएं
लिखाचेवा ने बीते महीने तमिलनाडु के कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट का दौरा किया था। यह न्यूक्यिलर पावर प्लांट रूस के सहयोग से ही बनाया जा रहा है। लिखाचेवा ने कहा कि कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा केंद्र के निर्माण के दौरान दोनों देशों को साथ मिलकर काम करने का काफी अनुभव मिला। भारतीय कंपनियां, रोसातोम द्वारा बांग्लादेश के रूपपुर में बनाए जा रहे परमाणु ऊर्जा प्लांट के निर्माण से भी जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच वैज्ञानिक रिसर्च और नियंत्रित थर्मोन्यूक्लियर फ्यूजन के क्षेत्र में सहयोग की काफी संभावनाएं हैं। रोसातोम, भारतीय वैज्ञानिकों को रूस में बनाए जा रहे एमबीआईआर मल्टी पर्पज फास्ट न्यूट्रॉन रिसर्च रिएक्टर में रिसर्च की सुविधा देने के लिए भी तैयार है। यह दुनिया का सबसे ताकतवर रिसर्च रिएक्टर होगा और इसमें मेडिकल, अप्लाइड फिजिक्स और नए तत्वों को बनाने जैसे मुद्दों पर रिसर्च होगी। 

चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा परमाणु ऊर्जा केंद्रों का निर्माण हो रहा है। साल 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में 50 फीसदी की कटौती और 2050 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पाने में परमाणु ऊर्जा बेहद अहम है। 

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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