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Tuesday, July 8, 2025

तालिबान : सिराजुद्दीन हक्कानी ने गृहमंत्री का चार्ज लेने के बाद पहली बार कानून व्यवस्था की बैठक ली

बैठक अफगानिस्तान के पुलिस आला अधिकारियों के साथ कई नेता भी शामिल थे। इस बैठक में हक्कानी ने जिम्मेदार अधिकारियों और नेताओं से अफगानिस्तान के लोगों के कानून की रक्षा के लिए किए जाने वाले सकारात्मक प्रयासों को और बढ़ाने के लिए कहा। हालांकि, हक्कानी ने जिस कानून व्यवस्था की समीक्षा की वो कोई सामान्य कानून व्यवास्था नहीं, बल्कि शरिया कानून की थी। बैठक के बाद अब अफगानिस्तान में तालिबानियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने इस कानून व्यवस्था की पहली समीक्षा बैठक की जमकर आलोचना की।

अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार इस वक्त फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। खासतौर से इंटरनेशनल कम्युनिटी में तालिबान यह बताने की कोशिश कर रहा है कि वह बदला हुआ शासन देना चाह रहा है, लेकिन हकीकत में तालिबान से आने वाली खबरें और तस्वीरें बहुत भयावह हैं। यही वजह है कि अमेरिका के खूंखार आतंकवादी की श्रेणी में शामिल तालिबान के गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने अफगानिस्तान की कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस के अधिकारियों और अन्य नेताओं के साथ एक बैठक ली।

सूत्रों के मुताबिक, हक्कानी ने कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले पुलिस अधिकारियों और तालिबानी लीडर्स को इस बात के लिए ताकीद किया कि अफगानिस्तान की जनता के साथ अन्याय ना हो। बैठक में शामिल लोगों के मुताबिक हक्कानी ने बेहतर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी अधिकारियों और नेताओं पर डाली। इन अधिकारियों और नेताओं को स्पष्ट रूप से अफगानिस्तान में शरिया कानून का पालन करवाने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

विदेशी मामलों के जानकार डॉ. जेड उस्मानी कहते हैं कि तालिबान ना पहले बदला था ना अब बदला है। वह सिर्फ दिखावे के लिए ही इस तरीके की बैठकों का आयोजन कर रहा है। डॉ. उस्मानी कहते हैं कि अगर गृहमंत्री हक्कानी को कानून व्यवस्था के पालन कराने का इतना ही शौक है तो दुनिया भर में मान्य कानूनों की अफगानिस्तान में बात की जानी चाहिए ना कि शरिया कानून की। वह कहते हैं कि दुनिया भर में मानवाधिकारों की वकालत करने वाली तमाम संस्थाएं अपने अपने माध्यम से अफगानिस्तान में हो रहे मानवाधिकारों के हनन को ना सिर्फ देख रहे हैं बल्कि उसके लिए दुनिया के सभी प्रभावशाली देशों से तालिबान को मान्यता न देने के लिए प्रयास भी कर रही हैं।

वह कहते हैं दरअसल अफगानिस्तान को बड़े मुल्कों से मिलने वाली विदेशी फंडिंग फिलहाल बंद कर दी गई है। फंडिंग बंद होने से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराने लगी है। यही वजह है कि अफगानिस्तान अब फ्रंट फुट पर आकर अपनी बदली हुई इमेज को दुनिया के सामने लाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन अफगानी मीडिया और लोगों के माध्यम के अलावा सोशल मीडिया के जरिए अफगानिस्तान में तालिबानियों का आतंक सामने आने लगा है। काबुल में पिछले डेढ़ सप्ताह से प्रदर्शन करने वाली महिलाओं के समूह ने बाकायदा अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से लेकर अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड तक में प्रदर्शन कर तालिबानियों की असलियत का पर्दाफाश किया है।

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने जब पहली बैठक ली, तो स्पष्ट निर्देश दिया गया कि कोई भी तस्वीर उसकी सामने से नहीं खींची जाएगी। यही वजह है कि बैठक में शामिल तकरीबन 50 लोगों से ज्यादा के अधिकारियों और तालिबानी कमांडरों के समूह में हक्कानी की तस्वीर एक बार फिर से स्पष्ट नहीं आई। बैठक में शामिल लोगों ने इस बात की तस्दीक करते हुए बताया कि हक्कानी बार-बार इस बात पर जोर दे रहा था कि उसकी नेगेटिव इमेज पूरी दुनिया के सामने नहीं आनी चाहिए। हक्कानी ने अपने अधिकारियों से कहा कि वह अपने देश में लागू कानून का पालन करवाएं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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