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Tuesday, July 1, 2025

आधुनिक और प्रगतिशील कृषि की नींव स्वामीनाथन ने रखी, पीएम ने कहा- उनके दिल में बसता था किसान

प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन अब हमारे बीच नहीं हैं। देश ने एक ऐसे दूरदर्शी व्यक्ति को खोया है, जिन्होंने भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। उनका योगदान स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। स्वामीनाथन चाहते थे कि हमारा देश और किसान समृद्धि के साथ जीवनयापन करें। वे अकादमिक रूप से प्रतिभाशाली थे और किसी भी कॅरिअर का विकल्प चुन सकते थे, लेकिन 1943 के बंगाल के अकाल से इतने द्रवित हुए कि कृषि क्षेत्र का कायाकल्प करने की ठान ली।

बहुत छोटी उम्र में, वे डॉ. नॉर्मन बोरलॉग के संपर्क में आए और उनके काम को गहराई से समझा। 1950 के दशक में, अमेरिका में एक फैकल्टी के तौर पर जुड़ने का आग्रह उन्होंने अस्वीकार कर दिया था। आजादी के बाद के दो दशक में हम कई चुनौतियों का सामना कर रहे थे और उनमें से एक थी- अन्न की कमी। 1960 के दशक की शुरुआत में, भारत अकाल से जूझ रहा था। इसी दौरान, प्रोफेसर स्वामीनाथन की दृढ़ प्रतिबद्धता और दूरदर्शिता ने कृषि क्षेत्र के एक नए युग की शुरुआत की।

कृषि और गेहूं प्रजनन जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में उनके अग्रणी कार्यों से गेहूं उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। ऐसे प्रयासों का ही परिणाम था कि भारत अनाज में आत्मनिर्भर  राष्ट्र बन गया। इस शानदार उपलब्धि की वजह से उन्हें ‘भारतीय हरित क्रांति के जनक’ की उपाधि मिली।

हरित क्रांति में भारत की “कुछ भी असंभव नहीं है” की भावना झलकती है। अगर हमारे सामने करोड़ों चुनौतियां हैं, तो उन चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने के लिए नवोन्मेष की लौ जलाने वाले करोड़ों प्रतिभाशाली लोग भी हैं। हरित क्रांति शुरू होने के पांच दशक बाद, भारतीय कृषि पहले से अधिक आधुनिक और प्रगतिशील हो गई है। लेकिन, प्रोफेसर स्वामीनाथन द्वारा रखी गई नींव को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

प्रोफेसर स्वामीनाथन ने आलू की फसलों को प्रभावित करने वाले कीटों से निपटने की दिशा में भी प्रभावी अनुसंधान किया था। उनके शोध ने आलू की फसलों को ठंड के मौसम का सामना करने में भी सक्षम बनाया। आज, दुनिया सुपर फूड के रूप में मिलेट्स या श्रीअन्न के बारे में बात कर रही है, लेकिन प्रोफेसर स्वामीनाथन ने 1990 के दशक से ही मिलेट्स को प्रोत्साहित किया था।

2001 में मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला। तब सूखे, चक्रवात और भूकंप ने राज्य की विकास यात्रा को बुरी तरह प्रभावित किया था। उसी दौर में हमने सॉइल हेल्थ कार्ड की पहल की थी, ताकि किसानों को मिट्टी को बेहतर ढंग से समझने और समस्या के अनुसार समाधान करने में मदद मिले। इसी सिलसिले में मेरी मुलाकात प्रोफेसर स्वामीनाथन से हुई। उन्होंने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए। इस योजना ने गुजरात में कृषि क्षेत्र की सफलता का सूत्रपात कर दिया।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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