नई दिल्ली, 24 दिसंबर 2024, मंगलवार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर स्वामी रामभद्राचार्य ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि यह बयान मोहन भागवत का व्यक्तिगत हो सकता है, लेकिन यह हिंदू धर्म के अनुयायियों के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करता है। स्वामी रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि मोहन भागवत संघ के संचालक हो सकते हैं, लेकिन हिंदू धर्म के नहीं।
मोहन भागवत ने पहले कहा था कि मंदिर-मस्जिद से जुड़े मुद्दों को कुछ लोग इसलिए उठाते हैं ताकि वे खुद को हिंदुओं के नेता के रूप में स्थापित कर सकें। स्वामी रामभद्राचार्य ने इस बयान की आलोचना की और कहा कि हिंदू धर्म के अनुयायियों को एक होना चाहिए और उनका ध्रुवीकरण नहीं होना चाहिए। स्वामी रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि जहां-जहां हिंदू धर्म के प्रमाणित स्थल हैं, वहां उनकी उपस्थिति होगी। उन्होंने कहा कि प्राचीन मंदिरों के प्रमाण उपलब्ध होने पर उन्हें दोबारा स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे पर स्वामी रामभद्राचार्य ने अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर कदम उठा रही है, लेकिन अब और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे इस मुद्दे पर कठोर रुख अपनाएं। इसके अलावा, स्वामी रामभद्राचार्य ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होने वाले कुंभ के आयोजन पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगा।
मुंबई में कांदिवली के ठाकुर विलेज में भव्य राम कथा का आयोजन किया गया है, जिसमें स्वामी रामभद्राचार्य महाराज द्वारा सात दिनों तक कथा सुनाई जाएगी। इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल धर्म का प्रचार-प्रसार करना है, और यह श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक पवित्र अवसर होगा।