लग गई ‘सुप्रीम’ मुहर! मंदिर हो या दरगाह… अवैध निर्माणों पर जारी रहेगा ‘बुलडोजर एक्शन’
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर। देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर अंतरिम रोक मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस बीच बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अवैध निर्माण को हटाने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन वह दिशा-निर्देश जारी करेंगे। इस मामले में देश भर के लिए गाइडलाइंस जारी होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी शख्स आरोपी या दोषी है यह डेमोलेशन का आधार नहीं हो सकता है। उसने यह भी कहा कि कब्जे के खिलाफ कार्रवाई के आड़े धार्मिक स्थल भी नहीं आने चाहिए। इस अदालत का पहले ही इस मुद्दे पर फैसला है। कोर्ट ने कहा कि सड़क के बीच धार्मिक निर्माण गलत है। अवैध मंदिर, दरगाह को हटाना होगा। लोगों की सुरक्षा सबसे जरूरी कदम है।
बता दें, देश के कई राज्यों में चल रहे बुलडोजर एक्शन पर जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हम सभी नागरिकों के लिए गाइडलाइन जारी करेंगे। सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि हमने यह स्पष्ट कर दिया है, यदि कोई सार्वजनिक सड़क, जल निकाय, रेलवे लाइन है तो कदम उठा सकते हैं। अवैध निर्माण हिंदू, मुस्लिम कोई भी कर सकता है। हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों। सिर्फ सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण को हटाने की ही छूट होगी। सुनवाई के दौरान जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि एक्शन के बाद महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को सड़क पर देखना दुखद है। अगर समय दिया जाए, तो लोग वैकल्पिक व्यवस्था कर सकते हैं। कोर्ट ने देशभर में फिलहाल तोड़फोड़ पर अंतरिम रोक जारी रखने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने बुलडोजर जस्टिस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि निचली अदालतों को अवैध निर्माण के मामलों में फैसले देते समय सावधानी बरतनी चाहिए। सॉलिसिटर जनरल (SG) ने कहा कि केवल 2% मामलों की खबरें सामने आती हैं, जिन पर विवाद होता है। जमीयत के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से आग्रह किया कि अतीत की घटनाओं पर ध्यान देने के बजाय भविष्य के लिए ठोस नियम बनाएं। वहीं, जस्टिस विश्वनाथन ने सुझाव दिया कि न्यायिक निरीक्षण के माध्यम से इस समस्या का समाधान खोजा जा सकता है और अदालत सामान्य कानून बनाने पर विचार कर सकती है। SG ने कहा कि मामले को हिंदू-मुस्लिम दृष्टिकोण से न देखें, क्योंकि इसमें कोई भेदभाव नहीं है।
वहीं, याचिकाकर्ता के वकील सीयू सिंह ने गुजरात में बुलडोजर कार्रवाई का जिक्र किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी तोड़फोड़ हुई है। 28 लोगों के घर तोड़ दिए गए हैं। इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि हम इस मामले पर भी आएंगे। एसजी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जो भी निर्णय लिया जाए, कृपया बिल्डरों और व्यवस्थित अनधिकृत अतिक्रमणकारियों को ध्यान में रखें। कुछ लोगों के साथ अन्याय हुआ है, जैसा कि याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है। जस्टिस गवई ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। निर्देश पूरे देश में लागू होंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारा आदेश अतिक्रमणकारियों की मदद न करे।
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