नई दिल्ली, 18 अप्रैल 2025, शुक्रवार: वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश ने देश में सियासी हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने इस आदेश का स्वागत करते हुए केंद्र सरकार के इस कानून को संविधान और धार्मिक स्वायत्तता पर हमला करार दिया। पार्टी का कहना है कि यह महज प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि वैचारिक प्रहार है, जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करता है।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुनवाई के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी और इमरान प्रतापगढ़ी ने दिल्ली में पत्रकारों से बात की। सिंघवी ने संविधान के अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन, प्रचार और उससे जुड़ी संस्थाओं के प्रबंधन का अधिकार है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की पांच खंडपीठों के फैसलों का जिक्र करते हुए बताया कि किसी धार्मिक संस्था की स्वायत्तता को खत्म करना असंवैधानिक है।
वक्फ अधिनियम के विवादास्पद प्रावधान
सिंघवी ने वक्फ संशोधन अधिनियम के प्रावधान 9 और 14 पर सुप्रीम कोर्ट की रोक का उल्लेख किया। प्रावधान 9 के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद के 22 में से 12 सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं, जबकि प्रावधान 14 में वक्फ बोर्ड के 11 में से 7 सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं। उन्होंने इसे धार्मिक स्वायत्तता के खिलाफ बताया। इसके अलावा, एक प्रावधान के तहत वक्फ बोर्ड का सीईओ भी गैर-मुस्लिम हो सकता है, जिसे उन्होंने “हास्यास्पद” करार दिया।
सिंघवी ने एक और चिंताजनक प्रावधान का जिक्र किया, जिसमें कोई भी व्यक्ति वक्फ संपत्ति पर आरोप लगाकर कलेक्टर को पत्र लिख सकता है, और कलेक्टर बिना कारण बताए उसे विवादित घोषित कर सकता है। इस दौरान संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, और कलेक्टर के फैसले की कोई समय सीमा भी तय नहीं है। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान मनमाने ढंग से संपत्तियों को विवादित करने का रास्ता खोलता है।
लोकतंत्र और स्वायत्तता पर सवाल
सिंघवी ने अधिनियम के उस प्रावधान पर भी सवाल उठाया, जिसमें वक्फ बोर्ड के सभी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के बावजूद अध्यक्ष को हटा नहीं सकते, जब तक कि सरकार इसकी अनुमति न दे। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ बताया। साथ ही, नए कानून में “वक्फ बाय यूजर” की अवधारणा को खत्म करने को भी गलत ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि यह स्पष्ट किया है कि घोषित या पंजीकृत वक्फ संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा।
संविधान की आत्मा का सवाल
सिंघवी ने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा सिर्फ मुसलमानों या अल्पसंख्यकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संविधान की आत्मा का सवाल है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आज एक समुदाय की धार्मिक संस्थाओं पर कब्जा हो सकता है, तो कल कोई भी अल्पसंख्यक संस्था खतरे में पड़ सकती है। यह कानून संविधान की समानता की भावना को चोट पहुंचाता है।
कांग्रेस का संकल्प
इमरान प्रतापगढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश को संविधान की जीत बताया। उन्होंने कहा कि जेपीसी और संसद में विपक्ष के सुझावों को नजरअंदाज किया गया था, जिसके बाद वह और अन्य याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट गए। प्रतापगढ़ी ने उम्मीद जताई कि अगली सुनवाई में और राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा संविधान को बनाने और बचाने की जिम्मेदारी निभाई है और आगे भी निभाएगी।
आगे की राह
वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश एक अहम कदम है, जिसने केंद्र सरकार के इरादों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने इसे संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की दिशा में एक जीत बताया है। अब सभी की नजरें अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इस कानून की संवैधानिक वैधता पर और गहन बहस होगी।