नई दिल्ली, 11 दिसंबर 2024, बुधवार। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण ने विवाद को जन्म दे दिया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने हाई कोर्ट से भाषण के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने अखबारों में रिपोर्ट छपने के बाद इस मामले में संज्ञान लिया है और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव से पूरा ब्योरा मांगा है।
इस मामले में राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा है कि वो जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग लाएंगे। कपिल सिब्बल ने कहा कि जस्टिस यादव के बयान से न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंची है और ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई करना आवश्यक है।
एनजीओ कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स ने जज के खिलाफ चीफ जस्टिस खन्ना के सामने शिकायत दर्ज कराई है। इस शिकायत में जज के खिलाफ जांच और उनके न्यायिक कार्य को निलंबित करने की मांग की गई है। एनजीओ का कहना है कि जज के भाषण से न्यायपालिका की आजादी संदेह पैदा होता है और यह न्यायिक संस्था की अखंडता और निष्पक्षता में आम जनता का विश्वास खत्म कर देता है।
श्रीनगर से नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के लोकसभा सांसद आगा सैयद रोहुल्लाह मेहदी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस पेश करने की योजना बना रहे हैं। मेहदी ने कहा है कि उन्हें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों से समर्थन का आश्वासन मिला है। मेहदी ने कहा है कि वे जस्टिस यादव को हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 124 (4) के मुताबिक संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश करेंगे।
एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शेखर यादव को हटाने की मांग वाले एक नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। ओवैसी ने आरोप लगाया कि जज का व्यवहार सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक जीवन के मूल्यों के पुनर्कथन और संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन करता है। ओवैसी ने कहा कि जज के खिलाफ प्रक्रिया नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी द्वारा शुरू की गई थी। हैदराबाद के सांसद ने कहा कि नोटिस पर 100 लोकसभा सदस्यों के हस्ताक्षर की आवश्यकता है ताकि लोकसभा अध्यक्ष इस पर विचार कर सकें।
गौरतलब है कि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस शेखर यादव ने एक भाषण में विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदू बच्चों को दयालु और अहिंसक होने की शिक्षा दी जाती है, लेकिन मुस्लिम समुदाय में ऐसा नहीं होता है। इसके अलावा, उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का समर्थन किया और कहा कि जब एक देश और एक संविधान है, तो सभी नागरिकों के लिए एक कानून क्यों नहीं होना चाहिए। जस्टिस यादव ने यह भी कहा कि यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक की इच्छा के मुताबिक काम करेगा। उनके इस बयान की कई लोगों ने आलोचना की है और उन्हें हटाने की मांग की है।