नई दिल्ली, 18 अगस्त 2025: सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हुए कैडेट्स की दयनीय स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और रक्षा बलों से जवाब तलब किया है। सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने इन कैडेट्स के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाएं, बीमा कवर और पुनर्वास योजना पर विचार करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने केंद्र से कहा कि प्रशिक्षण के दौरान चोटिल या दिव्यांग होने वाले कैडेट्स को दी जाने वाली 40,000 रुपये की मासिक अनुग्रह राशि को बढ़ाने पर विचार किया जाए। पीठ ने यह भी सुझाव दिया कि इन कैडेट्स को इलाज के बाद ‘डेस्क जॉब’ या रक्षा सेवाओं से जुड़े अन्य कार्यों में शामिल करने की योजना बनाई जाए।
कोर्ट ने कहा, “हम चाहते हैं कि ये बहादुर कैडेट सेना का हिस्सा रहें। चोट या दिव्यांगता उनके करियर में बाधा नहीं बननी चाहिए।” इस मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी।
मीडिया रिपोर्ट से शुरू हुआ मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था। रिपोर्ट के अनुसार, 1985 से अब तक करीब 500 कैडेट्स को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) और भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) जैसे संस्थानों में प्रशिक्षण के दौरान हुई दिव्यांगता के कारण बाहर किया गया। इनमें से 20 कैडेट्स को अकेले 2021 से जुलाई 2025 के बीच एनडीए से हटाया गया।
रिपोर्ट में बताया गया कि ये कैडेट्स बढ़ते चिकित्सा खर्चों का सामना कर रहे हैं और उन्हें दी जाने वाली अनुग्रह राशि उनकी जरूरतों के लिए नाकाफी है। नियमों के तहत, ये कैडेट्स भूतपूर्व सैनिक (ईएसएम) का दर्जा पाने के हकदार नहीं हैं, क्योंकि उनकी दिव्यांगता प्रशिक्षण के दौरान हुई। इस वजह से वे सैन्य सुविधाओं और मुफ्त इलाज की सुविधा से वंचित हैं।
केंद्र से बीमा कवर की संभावना तलाशने का निर्देश
पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि केंद्र को सैन्य प्रशिक्षण के दौरान मृत्यु या दिव्यांगता जैसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए बीमा कवर की व्यवस्था पर विचार करना चाहिए। कोर्ट ने यह भी जोर दिया कि इन कैडेट्स के पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाए जाएं ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।
यह मामला उन युवाओं की आकांक्षाओं और चुनौतियों को रेखांकित करता है, जो देश की सेवा के लिए कठिन प्रशिक्षण से गुजरते हैं, लेकिन अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण अपने सपनों से वंचित हो जाते हैं।