नई दिल्ली, 3 फरवरी 2025, सोमवार। उच्चतम न्यायालय ने दहेज निषेध अधिनियम के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली और महिला केंद्रित कानूनों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया। यह याचिका रूपशी सिंह ने दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि दहेज निषेध अधिनियम, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम और तत्कालीन भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के प्रति क्रूरता के प्रावधान पुरुषों के खिलाफ भेदभावपूर्ण हैं।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वह दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा दो और तीन सहित कुछ प्रावधानों को चुनौती देना चाहते हैं। अधिनियम की धारा दो दहेज की परिभाषा से संबंधित है, जबकि धारा तीन दहेज देने या लेने के लिए दंड से संबंधित है। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता पुरुषों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले इन कानूनों को लेकर चिंतित हैं।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह फैसला दिया। यह फैसला महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, और यह सुनिश्चित करता है कि दहेज निषेध अधिनियम और अन्य महिला केंद्रित कानूनों का दुरुपयोग न हो।