नई दिल्ली, 1 फरवरी 2025, शनिवार। उच्चतम न्यायालय सोमवार को महिला केंद्रित कानूनों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने जा रहा है। यह याचिका दहेज प्रतिषेध अधिनियम, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के प्रति क्रूरता संबंधी प्रावधानों की वैधता पर सवाल उठाती है।
याचिकाकर्ता रूपशी सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि इन कानूनों का दुरुपयोग महिलाओं द्वारा झूठी शिकायतें दर्ज कराने और पुरुषों पर अत्याचार करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया है कि वह इन कानूनों की समीक्षा करे और पुरुषों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 धर्म के आधार पर भेदभावपूर्ण है और घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005 के प्रावधान पुरुषों के प्रति भेदभावपूर्ण हैं।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ करेगी। यह मामला महिला केंद्रित कानूनों के दुरुपयोग के मुद्दे पर महत्वपूर्ण हो सकता है।