सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि नकदी की रफ्तार बिजली से भी तेज होती है, लिहाजा यदि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बड़ी मात्रा में मनी लॉन्ड्रिंग (धनशोधन) की सूचना मिले तो उसे उसी तेज गति से जांच करने की जरूरत होगी।
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों की व्याख्या की मांग को लेकर दायर याचिकाओं के समूह पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान पीठ ने ऐसी परिस्थिति का जिक्र किया, जिसमें ईडी के पास अवैध धनशोधन के बारे में कार्रवाई किए जाने लायक सूचना है।
पीठ ने पूछा, क्या ऐसे में ईडी को धन शोधन की जांच करने से पहले पुलिस या अन्य किसी एजेंसी द्वारा विशेष अपराध में केस दर्ज करने का इंतजार करना चाहिए? पीठ ने कहा, नकदी, बिजली से तेज गति से चलती है और यदि ईडी ने विशेष अपराध में एफआईआर दर्ज होने का इंतजार किया तो सुबूत तेजी से गायब हो सकते हैं।
10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में एक छापे में 190 करोड़ रुपये की बरामदगी का जिक्र करते पूछा था कि ईडी के पास विधेय अपराध की अनुपस्थिति में पीएमएलए के तहत अवैध पैसों की स्वतः जांच का अधिकार है या नहीं। मामले में बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।