वाराणसी/ उज्जैन, 27 अक्टूबर 2024, रविवार। देव दीपावली पर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में पहली बार 25 हजार पितरों के नाम से दीये जलाए जा सकेंगे। तो वहीं, उज्जैन में बाबा महाकाल के दरबार में सिर्फ एक फुलझड़ी जलाकर दिवाली पर्व की शुरुआत की जाएगी और उसके बाद बड़े ही धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। साथ ही मंदिर परिसर में आतिशबाजी पर भी रोक लगाने का फैसला लिया गया है। श्रीमहाकालेश्वर मंदिर में होली पर गर्भगृह में आग की घटना के बाद अब महाकालेश्वर प्रबंध समिति ने बाबा महाकाल के दरबार में मनाए जाने वाले दिवाली के त्योहार पर आतिशबाजी पर रोक लगाने का फैसला किया है।
काशी विश्वनाथ न्यास के सीईओ विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में पूर्वजों की याद में दिये जलाने की नई व्यवस्था की गई है। इसके लिए चार कैटेगरी में 1100 से 11000 रुपये शुल्क जमा कराए जा रहे हैं। मंदिर प्रशासन ने दीया डोनेशन नाम से ऑनलाइन बुकिंग भी शुरू की है। श्रद्धालु अलग-अलग कैटेगरी में बुकिंग करके दीये जलवा सकते हैं। दीये मंदिर प्रशासन की तरफ से ही जलवाए जाएंगे। सीईओ ने कहा कि पितरों के नाम से दीये जलाने के लिए बुकिंग कराते समय श्रद्धालुओं को पितरों का नाम दर्ज कराना होगा। इसके बाद मंदिर प्रशासन के पुजारियों के पास नामों की सूची आ जाएगी, फिर पितरों के नाम का संकल्प लेकर और मंत्रजाप कर दीये जलाए जाएंगे। इसके लिए गंगा ज्योति, काशी प्रकाश, देव दीपक और दिव्य गंगा ज्योत कैटेगरी बनाई गई है।
बाबा महाकाल के दरबार में 31 अक्टूबर को भस्म आरती के दौरान सबसे पहले भगवान को उबटन लगाया जाएगा, जिसे पुजारी परिवार की महिलाएं बनाती हैं। इसके बाद भगवान का गर्म जल से स्नान प्रारंभ किया जाएगा। जिसके बाद अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा। दीपोत्सव के दौरान महाकाल मंदिर में दिये जलाए जाएंगे और फुलझड़ियां छोड़ी जाएंगी। महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक गणेश धाकड़ ने इस मामले में एक पत्र जारी किया जिसमें सुरक्षाकर्मियों को यह हिदायत दी गई है कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि कोई भी भक्त अपने साथ पटाखे लेकर मंदिर में प्रवेश न करें। बता दें, इस वर्ष होली पर्व पर गर्भगृह में लगी आग के कारण पंडित पुजारी और सेवक बुरी तरह झुलस गए थे। इस घटना से सबक लेते हुए इस बार महाकालेश्वर प्रबंध समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में मनाया जाने वाले दीपावली पर्व के दौरान सिर्फ एक फुलझड़ी जलाकर यह पर्व शुरू किया जाएगा।