नई दिल्ली, 7 दिसंबर 2024, शनिवार। सुब्रमण्यम स्वामी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने प्रदेश सरकार के 2017 के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें राज्य के मंदिरों से जुड़े मेलों और त्योहारों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का निर्णय लिया गया था। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ इस जनहित याचिका की सुनवाई करेगी।
सरकार की धार्मिक दखलंदाजी पर स्वामी का वार!
स्वामी ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार की अधिसूचना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 31-ए का उल्लंघन करती है। उनका कहना है कि सरकार मनमाने, असंवैधानिक और अवैध तरीके से मंदिरों और उनके धार्मिक समारोहों का नियंत्रण अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रही है। स्वामी ने जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार को मंदिरों के मेलों और त्योहारों को सरकारी मेला घोषित करने या उनका नियंत्रण अपने हाथ में लेने से रोकने का निर्देश देने की मांग की है। यह मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए तैयार है।
मंदिरों के मेलों पर सरकारी दखलंदाजी का मामला कोर्ट में!
उत्तर प्रदेश सरकार के 2017 के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर 9 दिसंबर को चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच में सुनवाई होगी। इस आदेश में मंदिरों के मेलों को सरकारी मेला घोषित करने का निर्णय लिया गया था। याचिका में इस आदेश को असंवैधानिक बताया गया है और इसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार का मंदिरों पर दखलंदाजी का आदेश चुनौती के लिए तैयार!
उत्तर प्रदेश सरकार के 18 सितंबर 2017 की अधिसूचना और 3 नवंबर 2017 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। इस अधिसूचना के तहत कई प्रमुख मंदिरों में आयोजित होने वाले मेलों को सरकारी मेला घोषित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
मां ललिता देवी शक्तिपीठ
नैमिषारण्य सीतापुर
मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ मिर्जापुर
मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ देवीपाटन
तुलसीपुर बलरामपुर
शाकुंभरी माता मंदिर सहारनपुर
इन मेलों को सरकारी मेला घोषित करने से संबंधित आदेश को रद्द करने की मांग की गई है।