मिर्जापुर, 14 मई 2025, बुधवार। मिर्जापुर में बेसिक शिक्षा विभाग ने 44 निजी स्कूलों की जांच कर एक सनसनीखेज खुलासा किया है। शिक्षा के मंदिर कहलाने वाले इन स्कूलों में न तो गुणवत्ता की चिंता है और न ही नियमों का पालन। जांच में पाया गया कि 44 में से मात्र 3 स्कूल ही एनसीईआरटी की किताबें पढ़ा रहे थे, बाकी 41 स्कूल निजी प्रकाशनों की महंगी किताबें थोपकर कमीशनबाजी के खेल में लिप्त थे। यह लूट अभिभावकों की जेब पर डाका डाल रही है, जहां एनसीईआरटी की 600-700 रुपये की किताबों के बजाय 4500-7000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं।
हैरानी की बात यह है कि सिर्फ एक स्कूल में प्रशिक्षित शिक्षक पाए गए। अधिकांश स्कूलों में योग्यता और प्रशिक्षण के मानकों को ताक पर रखा गया। इससे भी चौंकाने वाला तथ्य है कि कई बड़े स्कूलों के पास कक्षा 1 से 8 तक की मान्यता ही नहीं है। फिर भी ये स्कूल बेखौफ होकर संचालित हो रहे हैं, अभिभावकों से मोटी फीस वसूल रहे हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग ने इस मनमानी पर सख्त रुख अपनाते हुए 41 स्कूलों को नोटिस जारी किया है। जांच के बाद इन स्कूलों को नियमों का पालन करने और जवाब देने का निर्देश दिया गया है। अगर ये स्कूल सुधरने में नाकाम रहे, तो मान्यता रद्द करने और जुर्माना लगाने जैसी कार्रवाई हो सकती है।
यह स्थिति न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ को भी उजागर करती है। सवाल यह है कि आखिर कब तक कमीशनबाजी के इस खेल को रोका जाएगा? मिर्जापुर के अभिभावकों और शिक्षा विभाग को अब मिलकर इस लूट के खिलाफ कड़ा कदम उठाना होगा।