सोनभद्र, 24 नवंबर 2024, रविवार। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में कई वनकर्मी ऐसे हैं जो 30 से 35 सालों से एक ही एरिया में जमे हुए हैं। यह तबादला नीति के विपरीत है, जिसे प्रदेश सरकार पूरे यूपी में सख्ती से प्रभावी करने में लगी हुई है। कुछ वनकर्मियों ने सोनभद्र में ही तैनात रहते हुए, फारेस्ट गार्ड से लेकर रेंजर तक की पदोन्नति पा ली है, लेकिन उनकी तैनाती सोनभद्र में ही बनी रही है। विभागीय अधिकारियों से लेकर वन मंत्री तक लोगों ने इसकी शिकायत की है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है।
रेणुकूट वन प्रभाग एक ऐसा वन प्रभाग है, जहां सबसे ज्यादा वन कर्मी वर्षों से एक ही जगह, एक ही क्षेत्र में कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। यहां एक रेंजर की तैनाती बताई जा रही है, जिसकी नियुक्ति लगभग 35 वर्ष फारेस्ट गार्ड के पद पर हुई थी। रेंजर तक पदोन्नति के बावजूद, तैनाती रेणुकूट वन प्रभाग में ही बनी रही है।
सोनभद्र में तबादला नीति की धज्जियां: 30 साल से एक ही जगह जमे हुए वनकर्मी
सोनभद्र वन प्रभाग में कई वन कर्मी वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं। इनमें से एक कर्मी की तैनाती 18 वर्ष से एक ही प्रभाग में बनी हुई है, जबकि एक अन्य फारेस्ट गार्ड वन दरोगा बन गया लेकिन उसकी तैनाती राबटर्सगंज क्षेत्र में ही बनी हुई है। इसके अलावा, मांची रेंज के एक वन दरोगा की तैनाती एक ही रेंज में 10 वर्ष से अधिक बताई जा रही है। सोनभद्र वन प्रभाग में ही तैनात एक वन दरोगा को डिप्टी रेंजर पर पदोन्नति के बावजूद, एक ही प्रभाग में कई वर्ष से तैनाती बनी हुई है। ओबरा वन प्रभाग में भी कई वन कर्मी वर्षों से जमे बताए जा रहे हैं। लोगों के बीच हो रही चर्चाओं और किए जा रहे दावों पर गौर करें तो सोनभद्र स्थित तीन तीनों वन प्रभागों, डिप्टी रेंजर, रेंजर दूर, दो दर्जन अधिक वन दरोगा-फारेस्ट गार्ड ऐसे हैं, जो वर्षों से सोनभद्र में ही जमे हुए हैं।
सोनभद्र में वन विभाग का बड़ा घोटाला: वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए कर्मचारी, भ्रष्टाचार के आरोप
सोनभद्र में वन विभाग के कई कर्मचारी वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं। ग्रामीणों ने कई बार प्रदर्शन किया है और आरोप लगाए हैं कि इन कर्मचारियों के कारण लकड़ी तस्करी और खनन माफिया को संरक्षण मिल रहा है। वन मंत्री अरुण सक्सेना के सामने भी यह मुद्दा उठाया गया था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। एक चर्चित रेंजर पर सपा-भाजपा को लेकर राजनीति करने के आरोप भी लगाए गए हैं। यह मामला अभी भी अनुत्तरित बना हुआ है और लोगों में आक्रोश है। वन विभाग को इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए।