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Friday, March 21, 2025

राहुल गांधी को जेलेंस्की बनने से रोको! गंभीर चेतावनी।

लेखक: डॉ. सुरेश चव्हाणके ( सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक एवं चेयरमैन)
यूक्रेन का एक कॉमेडियन, जिसे पश्चिमी शक्तियों ने पहले नायक बनाया और फिर अपने एजेंडे का मोहरा बना दिया। उसका नाम था वोलोदिमिर ज़ेलेन्स्की। उस समय यूक्रेन की भोली-भाली जनता को समझ नहीं आया कि वे एक विनाशकारी खेल का हिस्सा बन चुके हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप ने पहले उसे सत्ता तक पहुंचाया, फिर रूस के खिलाफ युद्ध में धकेल दिया। लेकिन जब यूक्रेन पूरी तरह से तबाह हो गया, तो वे हाथ झाड़कर अलग हो गए। आज वही खेल हिंदुस्थान में खेला जा रहा है, और राहुल गांधी को हिंदुस्थान का ज़ेलेन्स्की बनाने की कोशिश हो रही है!
हिंदुस्थान का ज़ेलेन्स्की प्लान: दुश्मनों का सबसे बड़ा षड्यंत्र
यूक्रेन सिर्फ रूस के खिलाफ एक मोहरा था, लेकिन हिंदुस्थान का मामला इससे भी गंभीर है।
• हिंदुस्थान के खिलाफ चीन, पाकिस्तान, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, इस्लामी कट्टरपंथी, वामपंथी, जिहादी ताकतें और अंदरूनी गद्दार एकजुट हो चुके हैं।
• पश्चिमी देशों का मिशन है हिंदुस्थान को महाशक्ति बनने से रोकना, क्योंकि हिंदुस्थान अगर शक्तिशाली हुआ, तो अमेरिका और चीन का प्रभुत्व खत्म हो जाएगा।
• राहुल गांधी और उनकी पार्टी इन विदेशी ताकतों के हाथ की कठपुतली बन चुके हैं। उनकी देशविरोधी बयानबाज़ी, विदेशी दौरों पर हिंदुस्थान की छवि खराब करने की कोशिशें और संदिग्ध विदेशी संबंध यही इशारा करते हैं कि वे हिंदुस्थान के खिलाफ खेल रहे हैं।
राहुल गांधी और ज़ेलेन्स्की: दो चेहरे, एक साजिश
छवि निर्माण: ज़ेलेन्स्की हमेशा काले टी-शर्ट में दिखता है—“संघर्षशील योद्धा” के रूप में। राहुल गांधी हमेशा सफेद टी-शर्ट में दिखते हैं—“संघर्षशील युवा, त्याग और शांति के प्रतीक” के रूप में। लेकिन अंदर से दोनों ही किसी और के इशारों पर नाचने वाले कठपुतली हैं।
अनुभवहीनता और कठपुतली बनना: ज़ेलेन्स्की को राजनीति का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन उसे दुनिया का हीरो बना दिया गया। राहुल गांधी 20 साल से राजनीति में हैं, लेकिन आज भी उनका स्तर किसी नौसिखिए जैसा है। दोनों को पश्चिमी मीडिया और विदेशी ताकतों ने ऊपर उठाया।
विदेशी धन और मदद: ज़ेलेन्स्की को अमेरिका और यूरोप से अरबों डॉलर मिले, लेकिन असली मकसद यूक्रेन को युद्ध में झोंकना था। राहुल गांधी और उनकी पार्टी को विदेशी NGOs और फंडिंग एजेंसियों का भरपूर समर्थन मिलता है। क्या यह हिंदुस्थान को अस्थिर करने का हिस्सा नहीं?
देश को बर्बादी की ओर धकेलना: ज़ेलेन्स्की ने यूक्रेन को युद्ध में झोंककर उसकी अर्थव्यवस्था, संस्कृति और पहचान खत्म कर दी। राहुल गांधी भी हिंदुस्थान में सामाजिक अस्थिरता और राजनीतिक अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
हिंदुस्थान को अस्थिर करने के लिए चीन और जिहादी तत्व सक्रिय!
यूक्रेन को रूस से लड़ाकर कमजोर किया गया, लेकिन भारत को कमजोर करने के लिए चीन और जिहादी ताकतें मिलकर खेल रही हैं।
1. चीन की गुप्त साजिश:
• राहुल गांधी की चीन से संदिग्ध नज़दीकियां—डोकलाम विवाद के दौरान उनकी चीनी अधिकारियों से गुप्त मुलाकात क्या थी?
• चीन चाहता है कि हिंदुस्थान कमजोर हो, ताकि वह अरुणाचल, लद्दाख और अंडमान-निकोबार पर अपनी पकड़ बना सके।
• माओवादी नेटवर्क और नकली किसान आंदोलन के पीछे चीन की फंडिंग की जांच क्यों नहीं हो रही?
2. जिहादी तत्व और वामपंथी लॉबी:
• हिंदुस्थान को अंदर से कमजोर करने के लिए पश्चिमी मीडिया, इस्लामी संगठन और टुकड़े-टुकड़े गैंग सक्रिय हो चुके हैं।
• राहुल गांधी का PFI, SIMI और कट्टरपंथी मौलानाओं से संबंध कोई छुपी हुई बात नहीं।
• CAA, NRC विरोधी आंदोलन, शाहीन बाग और दिल्ली दंगे सब विदेशी फंडिंग का हिस्सा थे, जिनका कांग्रेस ने समर्थन किया था।
3. हिंदुस्थान का बाज़ार लूटने की कोशिश:
• हिंदुस्थान के पास प्राकृतिक संसाधन, विशाल जनसंख्या और आर्थिक विकास की शक्ति है।
• अमेरिका और यूरोप नहीं चाहते कि हिंदुस्थान आत्मनिर्भर बने, इसलिए वे यहां कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों के जरिए राजनीतिक अस्थिरता फैलाना चाहते हैं।
अभी नहीं जागे, तो बहुत देर हो जाएगी!
यूक्रेन आज खंडहर बन चुका है, और उसका राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की अब अमेरिकी कंपनियों को अपने देश की खदानें और संपत्ति बेच रहा है। अगर राहुल गांधी जैसे नेता हिंदुस्थान में सत्ता में आए, तो देश की हालत भी वैसी ही होगी।
• हमें राहुल गांधी को हिंदुस्थान का ज़ेलेन्स्की बनने से रोकना होगा।
• विदेशी ताकतों की कठपुतली बने नेताओं को बेनकाब करना होगा।
• वामपंथी, जिहादी, माओवादी और विदेशी फंडिंग वाले NGO की जांच और सफाया करना होगा।
• देश को अस्थिर करने वाले नेताओं और मीडिया संस्थानों को जवाबदेह बनाना होगा।
आखिरी चेतावनी: हिंदुस्थान को बचाना होगा!
अगर हिंदुस्थान को बचाना है, तो राष्ट्रवादी शक्तियों को एकजुट होना पड़ेगा।
राहुल गांधी और उनकी विदेशी फंडिंग वाली राजनीति को देश से उखाड़ फेंकना होगा। यह देश किसी का प्रयोगशाला नहीं है।
यूक्रेन की गलती हम ना दोहराए! राहुल गांधी को सत्ता से दूर रखो, वरना यह देश भी उसी आग में जल उठेगा, जिसमें आज यूक्रेन राख हो चुका है!

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