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Monday, June 23, 2025

ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद शेयर बाजार में हाहाकार: सेंसेक्स 487 अंक लुढ़का, निफ्टी 150 अंक टूटा

मुंबई, 23 जून 2025: अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों ने वैश्विक बाजारों में भूचाल ला दिया, और भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा। सोमवार को सेंसेक्स 487 अंक की भारी गिरावट के साथ 81,920 पर खुला, जबकि निफ्टी 150 अंक टूटकर 24,914.95 पर आ गया। मध्य पूर्व में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने निवेशकों में घबराहट पैदा कर दी, जिससे आईटी, एफएमसीजी और वित्तीय शेयरों में जबरदस्त बिकवाली देखी गई।

आईटी शेयरों पर सबसे भारी मार

तकनीकी शेयर इस गिरावट के केंद्र में रहे। वैश्विक अनिश्चितता के चलते भारतीय आईटी कंपनियों की विदेशी मांग पर असर की आशंका ने निवेशकों को बिकवाली के लिए मजबूर किया। इन्फोसिस 2.05%, एचसीएल टेक 1.31% और टीसीएस 1.08% नीचे आए। मिडकैप आईटी कंपनी कोफॉर्ज के शेयर भी 0.47% टूटे। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक जोखिमों के बीच आईटी सेक्टर पर दबाव और बढ़ सकता है।

रुपये में कमजोरी, तेल की कीमतों में उछाल

बाजार के साथ-साथ भारतीय रुपये पर भी दबाव दिखा। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 20 पैसे कमजोर होकर 86.75 पर पहुंच गया। उधर, ब्रेंट क्रूड की कीमतें 1.69% उछलकर 78.31 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। भारत, जो अपने तेल का 80% से ज्यादा आयात करता है, के लिए यह बढ़ती कीमतें चिंता का सबब बन सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ता है, तो तेल की कीमतें और उछाल ले सकती हैं, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा।

कुछ शेयरों ने दिखाई मजबूती

गिरावट के इस माहौल में कुछ शेयर चमक बिखेरने में कामयाब रहे। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने वैश्विक तनाव के बीच रक्षा क्षेत्र की बढ़ती मांग का फायदा उठाया, जबकि भारती एयरटेल ने भी हल्की बढ़त हासिल की। हालांकि, हिंदुस्तान यूनिलीवर और बजाज फाइनेंस जैसे दिग्गज शेयरों में गिरावट ने बाजार के समग्र मूड को प्रभावित किया।

वैश्विक बाजारों में भी मायूसी

एशियाई बाजारों में भी मंदी का माहौल रहा। कोरिया का कोस्पी, जापान का निक्केई 225 और हांगकांग का हैंगसेंग लाल निशान में कारोबार करते दिखे। शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट भी निचले स्तर पर बंद हुआ था, जो वैश्विक निवेशकों की जोखिम से बचने की रणनीति को दर्शाता है।

क्या है गिरावट की वजह?

यह गिरावट अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से ईरान के फोर्दो, इस्फहान और नतांज परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों की घोषणा के बाद आई। इन हमलों ने मध्य पूर्व में बड़े संघर्ष की आशंका को जन्म दिया है। निवेशक अब ईरान की जवाबी कार्रवाई और इसके तेल की कीमतों पर असर को लेकर सतर्क हैं।

आगे क्या?

बाजार विश्लेषकों का कहना है कि मध्य पूर्व की स्थिति सामान्य होने तक बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। शुक्रवार को ट्रंप के सैन्य कार्रवाई टालने के बयान से बाजार में थोड़ी रिकवरी दिखी थी, लेकिन वीकेंड के हमलों ने निवेशकों का भरोसा फिर से तोड़ दिया। विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि निवेशक सतर्कता बरतें और जोखिम प्रबंधन पर ध्यान दें।

निवेशकों की नजर भू-राजनीति पर

जैसे-जैसे मध्य पूर्व में तनाव गहराता जा रहा है, भारतीय बाजारों पर इसका असर और बढ़ सकता है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे वैश्विक घटनाक्रमों पर पैनी नजर रखें और अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं। फिलहाल, सतर्कता ही बाजार की अस्थिरता से निपटने की सबसे बड़ी कुंजी है।

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