लखनऊ, 22 मार्च 2025, शनिवार। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। हरदोई में एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी विधायक श्याम प्रकाश ने एक ऐसा बयान दे दिया, जिसने सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया। विधायक ने खुलेआम अपनी इच्छा जाहिर की कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल्ली की राजनीति संभालनी चाहिए और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश की कमान मिलनी चाहिए। यह बयान तब और दिलचस्प हो गया, जब मंच पर खुद केशव प्रसाद मौर्य मौजूद थे और उन्होंने इस पर मुस्कुराते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी।
“जो मन में आता है, वह सच हो जाता है”
श्याम प्रकाश ने अपने संबोधन में कहा, “हमारे मन में एक बात आती है कि बाबा (योगी आदित्यनाथ) दिल्ली चले जाएं। केशव जी उत्तर प्रदेश संभालें। जो मेरे मन में आता है, वह अक्सर सच हो जाता है। समय तय करेगा कि आगे क्या होगा।” विधायक की यह बेबाकी न सिर्फ उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को दर्शाती है, बल्कि बीजेपी के भीतर नेतृत्व को लेकर चल रही अंदरूनी हलचल की ओर भी इशारा करती है। उनका यह दावा कि उनकी सोच अक्सर हकीकत में बदल जाती है, सियासी विश्लेषकों के लिए एक नया चर्चा बिंदु बन गया है।
केशव मौर्य की मुस्कान और रहस्यमयी जवाब
जब यह बयान दिया जा रहा था, तब मंच पर बैठे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की प्रतिक्रिया ने भी सबका ध्यान खींचा। उन्होंने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “श्याम प्रकाश बेबाक हैं, जो मन में आता है बोल देते हैं।” इसके बाद उन्होंने रहस्यमयी अंदाज में जोड़ा, “पतवार चलाते जाएंगे, मंजिल आएगी आएगी।” केशव का यह जवाब न केवल श्याम प्रकाश के बयान को हल्के में लेने की कोशिश था, बल्कि इसमें छिपा राजनीतिक संदेश भी साफ झलक रहा था। क्या यह संकेत है कि केशव मौर्य भी भविष्य में यूपी की कमान संभालने के लिए तैयार हैं? यह सवाल अब सभी के जेहन में कौंध रहा है।
बीजेपी के भीतर नेतृत्व की अटकलें
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार मजबूत स्थिति में है, और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पार्टी ने कई ऐतिहासिक जीत हासिल की हैं। लेकिन श्याम प्रकाश का यह बयान बीजेपी के भीतर नेतृत्व को लेकर एक नई बहस को जन्म दे सकता है। क्या यह केवल एक विधायक की निजी राय थी, या इसके पीछे कोई बड़ी रणनीति काम कर रही है? योगी आदित्यनाथ का दिल्ली जाना और केशव मौर्य का यूपी संभालना—यह विचार पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के लिए भी विचारणीय हो सकता है, खासकर तब जब 2027 के विधानसभा चुनाव और उससे पहले लोकसभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
सियासी संकेत या महज एक बयान?
केशव मौर्य का नाम पहले भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में उछला है। 2017 में जब बीजेपी ने यूपी में प्रचंड जीत हासिल की थी, तब भी उनके नाम की चर्चा थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ को कमान सौंपी गई। अब श्याम प्रकाश के बयान ने एक बार फिर उन अटकलों को हवा दे दी है कि क्या बीजेपी भविष्य में नेतृत्व परिवर्तन की ओर बढ़ सकती है। हालांकि, केशव मौर्य ने अपने जवाब में सधे हुए शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे यह साफ है कि वह अभी कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहते। लेकिन उनकी मुस्कान और “मंजिल आएगी आएगी” जैसे शब्दों ने सियासी विश्लेषकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
समय बताएगा सच्चाई
श्याम प्रकाश का यह बयान भले ही अभी एक चर्चा का विषय बन गया हो, लेकिन इसका असली असर भविष्य में ही दिखेगा। बीजेपी की रणनीति हमेशा से अप्रत्याशित रही है, और उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में नेतृत्व का फैसला पार्टी के लिए बेहद अहम होता है। क्या योगी दिल्ली जाएंगे? क्या केशव मौर्य यूपी की कमान संभालेंगे? या फिर यह सब महज एक राजनीतिक बयानबाजी है? जैसा कि श्याम प्रकाश ने कहा, “समय तय करेगा कि आगे क्या होगा।” अब सभी की निगाहें बीजेपी के अगले कदम पर टिकी हैं।
फिलहाल, हरदोई के इस मंच से शुरू हुई यह सियासी चिंगारी यूपी की राजनीति में कितना बड़ा तूफान लाएगी, यह देखना बाकी है। लेकिन एक बात तो तय है—उत्तर प्रदेश की सत्ता का खेल हमेशा की तरह रोमांचक बना हुआ है।