श्रीनगर, 7 सितंबर 2025: जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में ईद-ए-मिलाद के मौके पर अशोक स्तंभ वाली शिलापट्ट तोड़े जाने का मामला गरमा गया है। इस घटना में पुलिस ने अब तक 26 लोगों को गिरफ्तार किया है। घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है, जहां कुछ नेता तोड़फोड़ की निंदा कर रहे हैं, तो कुछ ने दरगाह में प्रतीक चिह्न लगाने पर ही सवाल उठाए हैं।
क्या है मामला?
5 सितंबर को पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन के अवसर पर हजरतबल दरगाह में सजावट के दौरान एक शिलापट्ट पर अशोक स्तंभ का निशान बनाया गया था। नमाज के बाद कुछ लोग इस शिलापट्ट के पास जमा हुए और अशोक स्तंभ के प्रतीक को लेकर विरोध जताने लगे। नारेबाजी के बाद भीड़ ने शिलापट्ट पर पत्थर और ईंटों से हमला कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। इस घटना में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी शामिल थीं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में लोग नारेबाजी और तोड़फोड़ करते दिख रहे हैं।
पुलिस ने की कार्रवाई
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और वायरल वीडियो के आधार पर 26 लोगों को हिरासत में लिया है। मामले की जांच जारी है और पुलिस के अनुसार, आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। सुरक्षा के लिए दरगाह के आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
उमर अब्दुल्ला का सवाल- प्रतीक लगाने की क्या जरूरत?
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए दरगाह में अशोक चिह्न लगाने की जरूरत पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “प्रतीक चिह्न और शिलापट्ट लगाने की क्या मजबूरी थी? क्या पहले से मौजूद व्यवस्था पर्याप्त नहीं थी?” साथ ही, उन्होंने तोड़फोड़ में शामिल लोगों पर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) लगाए जाने की आशंका पर चिंता जताई।
राज्यपाल ने की निंदा, मुफ्ती ने बताया ईशनिंदा
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा ने तोड़फोड़ की कड़ी निंदा करते हुए इसे “अत्यंत दुखद” बताया। हालांकि, उन्होंने प्रतीक चिह्न लगाने पर कोई टिप्पणी नहीं की। वहीं, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने हजरतबल में अशोक स्तंभ लगाने को इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए इसे “ईशनिंदा” करार दिया। उन्होंने कहा, “हजरतबल पैगंबर मुहम्मद से जुड़ा पवित्र स्थल है। इस्लाम मूर्ति पूजा के खिलाफ है, और ऐसा कोई कृत्य स्वीकार्य नहीं है।”
वक्फ बोर्ड की मांग- सख्त कार्रवाई हो
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की प्रमुख दरखशां अंद्राबी ने तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतें सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने की साजिश हैं।
राजनीतिक विवाद गहराया
नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसे दलों ने पूजा स्थल पर अशोक चिह्न जैसे प्रतीकों के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह इस्लामी मान्यताओं का उल्लंघन करता है। दूसरी ओर, कुछ नेताओं ने तोड़फोड़ को गलत ठहराते हुए कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है।
पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है, और आने वाले दिनों में इस विवाद के और तूल पकड़ने की आशंका जताई जा रही है।