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Wednesday, August 6, 2025

बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका, भारत ने मदद के लिए बड़ा दिल दिखाया।

इस साल के मध्य में जब श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा था, उस दौरान भारत ने अपने पड़ोसी की मदद के लिए बड़ा दिल दिखाया। श्रीलंका में ईंधन, दवाओं और खाद्य पदार्थों की कमी और सरकार के भ्रष्टाचार पर गृहयुद्ध जैसी स्थिति के बीच भारत ने आगे आते हुए पड़ोसी देश के लिए हरसंभव मदद भेजी।

अगर सिर्फ जनवरी से जुलाई के बीच की बात कर लें तो भारत ने श्रीलंका को करीब चार अरब डॉलर (करीब 33 हजार करोड़ रुपये) की मदद भेजी। इनमें बिना ब्याज के कर्ज से लेकर करेंसी की अदला-बदली तक शामिल हैं। इसके अलावा निर्यात के लिए पेमेंट में छूट और 2.2 करोड़ लोगों की चिकित्सा जरूरतों को पूरा करने के लिए दवाओं से लदा एक युद्धपोत भी भेजा गया।

भारत की तरफ से भेजी गई इस मदद ने श्रीलंका में सियासी उथल-पुथल के बीच स्थितियों को सामान्य करने में काफी मदद की। अब जब श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 2.9 अरब डॉलर का कर्ज हासिल करने के अंतिम चरण में है, भारत भी उसके साथ कई परियोजनाओं में निवेश कर देश को संकट से निकालने के रास्तों पर विचार कर रहा है। केंद्र सरकार के तीन सूत्रों ने खुद न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से इस बात की पुष्टि की। सूत्रों के मुताबिक, भारत के श्रीलंका में यह निवेश के प्रोजेक्ट्स न सिर्फ उसकी मदद करेंगे, बल्कि हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में भी कारगर होंगे। इसी महीने की शुरुआत में श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने भी कहा था कि वह भारत की तरफ से निवेश चाहते हैं। मौजूदा समय में भारत और श्रीलंका के बीच करीब एक अरब डॉलर के निवेश की बात चल रही है, जो इस देश में भारत की मौजूदगी को और बढ़ाने में अहम होगा। भारत इस वक्त श्रीलंका में जिन प्रोजेक्ट्स में निवेश के मौके देख रहा है, उनमें इस द्वीप देश के उत्तर में कई रिन्यूएबल एनर्जी और पावर सेक्टर (नवीकरणीय ऊर्जा) से जुड़े हैं। इतना ही नहीं श्रीलंका अपने पूर्वोत्तर में मौजूद त्रिनकोमाली बंदरगाह के विकास कार्यों में भी भारत के साथ काम करने के मौके तलाश रहा है। श्रीलंका और भारत की करीबी को देखते हुए यह प्रोजेक्ट्स नई दिल्ली के लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं। खासकर भारत की सुरक्षा चिंताओं को सुलझाने और श्रीलंका पर चीन के बढ़ते प्रभाव को खत्म करने में। चीन ने बीते कई वर्षों में चीन में अरबों के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं, जिन पर अब चीन ने गुपचुप तरीके से ‘कर्ज वापसी’ या ‘कब्जे’ के लिए कोलंबो पर दबाव बनाया है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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