कोरोना काल में सपा प्रवक्ता अनूप संडा के नेतृत्व में बिना अनुमति सभा में जुटी थी भीड़
सुलतानपुर। कोरोना काल में सपाईयों द्वारा बिना अनुमति जुटाई गईं भीड़ व प्रदर्शन करने का मुकदमा एमपीएमएलए न्यायालय में चलेगा। शासनादेश के अनुपालन में आरोपितों द्वारा मुकदमा न चलाने का प्रार्थनापत्र शुक्रवार को दिया था। जिस पर विशेष लोक अभियोजक ने स्पष्ट किया कि शासनादेश जनप्रतिनिधि से संबंधित मुकदमों से संबंधित नहीं है। विशेष लोक अभियोजक वैभव पांडे ने बताया कि दरोगा कमलेश यादव ने 8 दिसंबर 22 को कोतवाली नगर में एफआईआर लिखाई थी। जिसके अनुसार एक दिन पहले शाम चार बजे सपा क़ी टोपी लगाए युवजन व पार्टी के कई कार्यकर्ता मुख्यमंत्री का पुतला फूँकने के लिए जमा थे वे किसान अध्यादेश का विरोध जताकर सरकार को निकम्मी होने का नारा भी लगा रहे थे। उन्हें समझाया गया। कोरोना काल में वे सब न तो मास्क लगाए थे न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे। पुलिस ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया था। लेकिन 14 लोगों को आरोपित बनाया था। विवेचना के बाद दस के विरुद्ध आरोप पत्र प्रेषित किया गया है। जिसमें शहजाद, मोईद अहमद, राहुल उपाध्याय, सलाहुद्दीन, अनूप संडा, गुफरान, विनोद जायसवाल, जमीरुद्दीन, धर्मेंद्र उर्फ़ राजू चौधरी व मनोज अग्रवाल शामिल हैं।
इसौली विधायक के मुकदमें में गवाह तलब
22 साल पहले वन विभाग क़ी जमीन पर सड़क बनवाने के चल रहे मुकदमें में इसौली के सपा विधायक मोहम्मद ताहिर खान के मामले में एमपीएमएलए मजिस्ट्रेट ने अभियोजन से गवाह प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। विशेष लोक अभियोजक वैभव पांडे ने जानकारी दी है कि प्रभागीय वनाधिकारी ने 3 फरवरी 2000 को कोतवाली नगर मे एफआईआर लिखाया था। जिसके अनुसार 21 जनवरी 2000 को वन विभाग के पिलर संख्या 1 व 2 के बीच मोहम्मद ताहिर ने राजस्थानी ट्रेक्टर से मिट्टी डलवा कर सड़क बनाने का प्रयास किये है। चिन्हाकन के लिए लगे पत्थरों को भी दबा दिया वहाँ मौजूद वन कर्मियों रामशिरोमणि स्वामीनाथ जेठूराम हरिशंन्द्र ने उन्हें मना किया तो वे आमादा मारपीट हो गए। इस प्रकरण में आरोप पत्र बहुत पहले आ चुका था लेकिन पत्रावली सीजेएम न्यायालय मे लंबित रही। 24 साल बाद विशेष न्यायालय ने कार्यवाही शुरू की है। विधायक का बयान लिखा जा चुका है अब मुकदमा लिखाने वाले क़ी गवाही होनी है।