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Friday, June 27, 2025

सपा के ‘बनारस वाले मिश्रा’ पर उल्टा पड़ा दांव, पुलिस ने कसा शिकंजा

वाराणसी, 13 अप्रैल 2025, रविवार। वाराणसी की सरजमीं, जहां गंगा की लहरें और सियासत का शोर एक साथ गूंजता है, इन दिनों एक नए तमाशे का गवाह बनी है। केंद्र में हैं समाजवादी पार्टी के फायरब्रांड नेता हरीश मिश्रा, जिन्हें सोशल मीडिया की दुनिया में ‘बनारस वाले मिश्रा जी’ के नाम से पहचाना जाता है। एक बयान ने उन्हें रातोंरात सुर्खियों में ला दिया, लेकिन ये शोहरत मुसीबतों का सबब बन गई। मारपीट, हंगामा और फिर पुलिस की कार्रवाई—ये कहानी किसी बॉलीवुड ड्रामे से कम नहीं!

बात शनिवार दोपहर की है। काशी विद्यापीठ के पास हरीश मिश्रा के घर कुछ लोग पहुंचे। हरीश का एक तीखा बयान, जिसने सोशल मीडिया पर आग लगा रखी थी, बहस का मुद्दा बना। बातों-बातों में तनातनी बढ़ी, और देखते ही देखते मामला हाथापाई तक पहुंच गया। स्थानीय लोग हरीश के पक्ष में कूद पड़े, और दो लोगों को पकड़कर उनकी ऐसी धुनाई की कि हंगामा मच गया। खबर फैलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब पुलिस ने हरीश मिश्रा और उनके 54 साथियों पर ही केस ठोक दिया।

पुलिस ने हरीश समेत चार लोगों पर नामजद मुकदमा दर्ज किया—आरोप? मारपीट, सड़क जाम और विवादित टिप्पणी। बाकी 50 अज्ञात लोगों पर भी शांति भंग और ट्रैफिक रोकने की FIR दर्ज हुई। एडीसीपी काशी सरवनन टी ने साफ कर दिया, “ये आपसी रंजिश का मामला है। इसमें करणी सेना का कोई रोल नहीं।” ये बयान हरीश के दावों पर भारी पड़ गया।

उधर, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस घटना को सियासी रंग दे दिया। अपने X हैंडल से उन्होंने आग उगलते हुए लिखा, “हरीश मिश्रा पर चाकू से कातिलाना हमला यूपी की ध्वस्त कानून-व्यवस्था का सबूत है। उनके रक्तरंजित कपड़े सरकार की नाकामी का प्रतीक हैं।” अखिलेश ने सपा कार्यकर्ताओं की हिम्मत को सलाम किया और सरकार को चुनौती दी कि अब क्या जवाब दोगे?

लेकिन हरीश मिश्रा कोई नए मेहमान नहीं हैं विवादों की दुनिया में। कांग्रेस सेवा दल से सियासी पारी शुरू करने वाले मिश्रा 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। उनके तीखे बयान पहले भी उन्हें जेल की सैर करा चुके हैं। इस बार भी दांव उल्टा पड़ गया, और पुलिस की कार्रवाई ने उनके दावों की हवा निकाल दी।

तो क्या ये सब सिर्फ आपसी झगड़ा था, या इसके पीछे कोई गहरी सियासी साजिश? वाराणसी की गलियां इस सवाल का जवाब तलाश रही हैं। एक बात तो तय है—‘बनारस वाले मिश्रा जी’ की ये कहानी अभी और रंग दिखाएगी!

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