वाराणसी, 14 अप्रैल 2025, सोमवार। वाराणसी की सियासी गलियों में उस वक्त हलचल मच गई, जब समाजवादी पार्टी के नेता हरीश मिश्रा को सिगरा पुलिस ने सोमवार की शाम जेल भेज दिया। यह कहानी सिर्फ एक जेल यात्रा की नहीं, बल्कि सियासत, हमले और सड़क जाम की कोशिशों का एक ऐसा ताना-बाना है, जो हर किसी का ध्यान खींच रहा है।
क्या था पूरा मामला?
शुक्रवार को मां करणी के उपासक अविनाश मिश्रा ने हरीश मिश्रा पर हमला कर दिया। इस हमले में घायल हरीश कबीरचौरा अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती थे। लेकिन मामला यहीं नहीं थमा। हमले के बाद सपा नेताओं और हरीश के समर्थकों ने थाने पहुंचकर धरना-प्रदर्शन और सड़क जाम करने की कोशिश की। पुलिस ने इसे गैरकानूनी माना और हरीश मिश्रा सहित चार नामजद और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ 7 क्रिमिनल लॉ एक्ट (CLA) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया।
अस्पताल से जेल तक का सफर
सोमवार को सिगरा पुलिस ने हरीश मिश्रा को अस्पताल से डिस्चार्ज करवाया। घायल हरीश, जिनके हाथ में पट्टी बंधी थी और जो लंगड़ाते हुए चल रहे थे, को पहले थाने और फिर कोर्ट ले जाया गया। कोर्ट ने उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया। जेल जाते वक्त हरीश ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई, “मेरी पत्नी और बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी अब प्रशासन की है। जिन लोगों ने मुझ पर हमला किया, वे मेरे परिवार को भी निशाना बना सकते हैं।” इस दौरान उनके समर्थक भारी संख्या में कचहरी के बाहर डटे रहे, जिससे माहौल और गर्म हो गया।
अखिलेश यादव का फोन और सपा का समर्थन
इस घटना ने समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का भी ध्यान खींचा। सोमवार सुबह सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने हरीश मिश्रा से फोन पर बात की, उनका हालचाल जाना और हर संभव मदद का भरोसा दिया। लेकिन इससे पहले कि सियासी समर्थन कोई नया मोड़ लेता, पुलिस ने अपनी कार्रवाई पूरी कर हरीश को जेल भेज दिया।
कानूनी कार्रवाई और आरोप
काशी विद्यापीठ चौकी इंचार्ज विकल शांडिल्य की तहरीर के आधार पर सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। सब इंस्पेक्टर शांडिल्य ने बताया कि शनिवार को थाने में दो पक्षों के बीच मारपीट का मामला दर्ज हो रहा था। इसी दौरान हरीश मिश्रा और उनके 30-40 समर्थकों ने थाने पर हंगामा किया और सड़क जाम करने की कोशिश की। पुलिस ने इस मामले में धारा 132 (हमला), धारा 285 (सार्वजनिक मार्ग में बाधा), धारा 223 (सरकारी आदेश का उल्लंघन) और 7 CLA के तहत कार्रवाई की।
क्या है आगे की कहानी?
हरीश मिश्रा की जेल यात्रा ने वाराणसी की सियासत में नया तूफान खड़ा कर दिया है। उनके समर्थक जहां इसे अन्याय बता रहे हैं, वहीं पुलिस अपनी कार्रवाई को कानून के दायरे में बता रही है। इस घटना ने सवाल भी खड़े किए हैं—क्या यह सिर्फ एक हमले और सड़क जाम का मामला है, या इसके पीछे कोई गहरी सियासी साजिश? फिलहाल, वाराणसी की गलियां इस सवाल का जवाब तलाश रही हैं, और हरीश मिश्रा की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है।