महाबली हनुमान का चमत्कारिक दरबार जहां नाग देवता करते पहरेदारी
महाभारतकालीन मंदिर में रात को नहीं रुकने की इजाज़त, यहाँ कर्ण ने की थी यहां तपस्या
मध्य प्रदेश के गुना जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर पहाड़ी पर स्थित है अद्भुत चमत्कारी स्वयंभू वीर हनुमान जी का मंदिर । भौगौलिक रूप से देखें तो इस क्षेत्र में एक लाइन में लगातार तीन पहाड़ियां हैं जिनको कुछ इन नामों से जाना जाता है । एक हनुमान टेकरी, दूसरी राम टेकरी और तीसरी लक्ष्मण टेकरी। हनुमान टेकरी पर बजरंगबली की चमत्कारी मंदिर स्थित है । मान्यता है कि इस मंदिर में हनुमान जी की स्वयंभू प्रतिमा स्थित है। यह दक्षिण मुखी हनुमान प्रतिमा है।
कहा जाता है कि अपने आप प्रकट हुई हनुमान जी की यह विग्रह प्रतिमा लगभग 7वी शताब्दी की है और इस मंदिर के महाभारत कालीन होने के साक्ष्य है। यह स्थान साधु-संतों की तपोभूमि का केंद्र भी रहा है। बताया जाता है कि महाभारत के युद्ध से पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने भी इसी जगह पवनपुत्र हनुमान जी की तपस्या की थी।
जीर्णोद्धार के समय मिले थे सोने के सिक्के
मढिया से मंदिर बनाने के लिए जब इस जगह का जीर्णोद्धार किया जा रहा था, तब खुदाई में यहां सोने के सिक्के मिले थे। वहां मंदिर के नीचे की तरफ एक पत्थर हटाया गया तो वहां बड़ी संख्या में सांप निकले। सांप इतने ज्यादा थे कि उस जगह को वापस बंद करना पड़ा। वहां खुदाई बंद करनी पड़ी। ऐसा भी कहा जाता है कि कुछ साधुओं की समाधि भी खुदाई के दौरान मिलीं थीं।
नाग देवता करते पहरेदारी
ट्रस्ट के अध्यक्ष नारायण अग्रवाल की माने तो जब यहां मढिया थी, तो उसके गेट से लगी हुई एक चमेली की बेल थी। उस बेल पर हमेशा नाग देवता रहते थे। कहा जाता है कि वह हर समय बालाजी सरकार की नाग देवता पहरेदारी किया करते थे। मंदिर का जीर्णोद्धार हो जाने के बाद भी पीछे के पेड़ पर अक्सर नाग देवता आज भी दिखाई देते हैं। आज भी वह हर समय मंदिर की पहरेदारी कर रहे हैं।
रात में नहीं रुकता कोई
मुख्य मंदिर में रात के समय कोई नहीं रुकता। ऐसी किवदंति है कि रात के समय में यहां मीटिंग होती है। पास की पहाड़ियों पर से देवता आते हैं और उनकी बैठकों का दौर चलता है। वहीं एक अन्य किवदंति यह भी है कि रात को राम टेकरी से यहां तक बारात आती है। कई प्रकार की रौशनी यहां दिखाई देती है। आस पास के ग्रामीण बताते हैं कि उन्होंने कई बार ऐसी रौशनी वहां देखी है। यही वजह है कि रात में यहाँ कोई नहीं रुकता।
जिंद बाबा को चढ़ती है सिगरेट
टेकरी परिसर में पीछे की तरफ जिंद बाबा का सिद्ध स्थल है। यहां काफी लोग अपनी मन्नत मांगने पहुंचते हैं। मन्नत पूरी होने पर यहां झूला चढ़ाया जाता है। वहीं बाबा पर प्रसाद के रूप में सिगरेट चढ़ाई जाती है। वह सिगरेट अपने आप खत्म हो जाती है। ऐसे मान्यता है कि बाबा सिगरेट का ही भोग लगाते हैं। जलती हुई सिगरेट रखी जाती है तो वह अपने आप सुलगती रहती है। अब जिंद बाबा का भी विशाल मंदिर बन गया है।
चबूतरे से विशाल मंदिर का सफर
पहले यहां केवल एक चबूतरा था। उसी पर बालाजी सरकार की प्रतिमा स्थापित थी। उसके बाद इसका जीर्णोद्धार हुआ और मढिया का निर्माण हुआ। वर्षों तक यहाँ श्री हनुमान जी बालाजी महाराज की मढिया के रूप में ही पूजा होती रही। पिछले 15 वर्षों में फिर इसका जीर्णोद्धार हुआ और आज श्री बजरंगबली का विशाल भव्य मंदिर में भक्त दर्शन करते हैं । मंदिर परिसर में धर्मशाला, सत्संग भवन सहित अन्य सुविधाओं का भी निर्माण किया गया है। लगभग 25 करोड़ में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है।