नई दिल्ली, 26 मार्च 2025, बुधवार। वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी से एक खास मुलाकात की। इस बातचीत में अनिता ने “सौगात-ए-मोदी” नामक योजना पर सवाल उठाया, जिसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है। यह योजना क्या है और इसका मकसद क्या है? इस सवाल के जवाब में जमाल सिद्दीकी ने बेबाकी से अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा, “यह पहली बार है जब पत्रकारों की नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दी हुई सौगात पर पड़ी है। वरना, मोदी जी और बीजेपी के कार्यकर्ता चुपचाप लोगों के बीच रहते हैं, उनकी सेवा करते हैं। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कहना है कि सेवा ही हमारा संगठन है। हमारा मकसद सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि सत्ता के जरिए सेवा करना है। इस बार हमारी यह सेवा ‘सौगात-ए-मोदी’ के रूप में लोगों के सामने आ गई है।”
सौगात-ए-मोदी: क्या है यह किट?
जमाल सिद्दीकी ने योजना की बारीकियां साझा करते हुए बताया कि देशभर में 32,000 बीजेपी कार्यकर्ताओं को चिह्नित किया गया है, जो इस खास किट को अपने-अपने मोहल्लों में जरूरतमंदों तक पहुंचाएंगे। हर कार्यकर्ता 100 जरूरतमंद लोगों को यह किट सौंपेगा और ईद की मुबारकबाद देगा। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ हमारे नेता नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के पालक भी हैं। त्योहार के मौके पर पालक के तौर पर हम खाली हाथ नहीं जा सकते। इसलिए यह किट लेकर जाएंगे और लोगों से मिलेंगे।”
इस किट में क्या-क्या है? सिद्दीकी ने बताया कि इसमें ड्राई फ्रूट्स, सूजी, शक्कर, रवा, बेसन, सेवईयां और महिलाओं के लिए सूट का कपड़ा शामिल है। यानी रोजा खोलने से लेकर ईद की मिठास तक, हर जरूरत का ख्याल रखा गया है।
विपक्ष का आरोप: चुनावी सौगात?
अनिता चौधरी ने बिहार के मुस्लिम-यादव समीकरण का जिक्र करते हुए विपक्ष के उस आरोप को उठाया, जिसमें कहा गया कि यह ईद की सौगात नहीं, बल्कि चुनावी चाल है। जवाब में सिद्दीकी ने तंज कसते हुए कहा, “जो जैसा होता है, वह दूसरों को भी वैसा ही समझता है। कांग्रेस, सपा, बसपा जैसे दलों ने लोगों को मूर्ख बनाकर सत्ता हासिल की, लेकिन अब लोग जागरूक हो गए हैं। दिल जीतने के लिए सच और सेवा चाहिए, जो बीजेपी और मोदी जी दे रहे हैं।”
उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, “सपा, कांग्रेस, बसपा को भी ईद की सौगात लेकर मुस्लिम भाइयों के बीच जाना चाहिए। ये लोग इफ्तार पार्टियों में दिखावा करते हैं, लेकिन सौगात देने की बात आती है तो पीछे हट जाते हैं।” सिद्दीकी ने यह भी जोड़ा कि असली धर्मनिरपेक्षता यही है कि लोग एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करें, न कि टोपी या तिलक का दिखावा करें।
इफ्तार पर सियासत क्यों?
एक अहम मुद्दे पर सिद्दीकी ने कहा कि इफ्तार को खुले मंच पर आयोजित करना गलत है। “रोजा इफ्तार का वक्त नमाज और दुआ का होता है। मंच पर इफ्तार करने से रोजेदार की दुआ छूट जाती है और सिर्फ राजनीति बचती है। मुसलमानों को इससे बचना चाहिए।” उन्होंने विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, “अखिलेश यादव, ममता बनर्जी या कांग्रेस ने कभी ईदी दी? ये लोग सिर्फ वोट बैंक के लिए मुसलमानों को गरीब, बीमार और कमजोर बनाए रखना चाहते हैं।”
टोपी और तिलक का जवाब
विपक्ष के इस आरोप पर कि सौगात-ए-मोदी के जरिए मुसलमानों को “टोपी पहनाई” जा रही है, सिद्दीकी ने कहा, “बीजेपी में कोई टोपी नहीं पहनता। हमारे हिंदू भाई शान से तिलक लगाते हैं, मुस्लिम भाई शान से टोपी पहनते हैं। यह हमारी इबादत की पहचान है। टोपी पहनाने का काम तो कांग्रेस करती है।”
गंगा-जमुनी तहजीब और नागपुर का जिक्र
अनिता ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देते हुए नागपुर में औरंगजेब के नाम पर हुई पत्थरबाजी का मुद्दा उठाया। सिद्दीकी ने इसे विपक्ष की साजिश करार देते हुए कहा, “महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार ने शांति बनाए रखी। पहले देश में दंगे आम थे, लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में अब सौहार्द है। नागपुर में दंगा नहीं, बल्कि उपद्रव था, जो विपक्ष की नाकाम कोशिश थी।”
वक्फ बोर्ड पर विवाद
अंत में, अनिता ने वक्फ बोर्ड को लेकर जंतर-मंतर पर हुए प्रदर्शन का जिक्र किया, जहां मुस्लिम समुदाय ने मोदी सरकार पर हक छीनने का आरोप लगाया था। सिद्दीकी ने इसे खारिज करते हुए कहा, “वहां मुस्लिम समाज नहीं, बल्कि भूमाफिया और राजनीतिक लोग थे। वक्फ बोर्ड गरीब मुसलमानों का हक छीन रहा है, और हम इसे ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं।”
यह बातचीत सौगात-ए-मोदी को लेकर दो ध्रुवों को सामने लाती है। एक तरफ बीजेपी इसे सेवा और सौहार्द का प्रतीक बता रही है, तो दूसरी तरफ विपक्ष इसे चुनावी हथकंडा करार दे रहा है। सच क्या है, यह तो वक्त और जनता तय करेगी। लेकिन इतना साफ है कि यह योजना सियासी बहस का नया केंद्र बन गई है।