नई दिल्ली, 3 अप्रैल 2025, गुरुवार। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वक्फ संशोधन विधेयक-2024 को संविधान पर खुला हमला करार देते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में अपने संबोधन में उन्होंने इसे भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा बताया, जिसका मकसद समाज को बांटना है। इसके साथ ही उन्होंने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को भी संविधान के खिलाफ एक और साजिश करार दिया। सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी सरकार संविधान को कागजों तक सीमित करने और देश को रसातल में धकेलने पर तुली हुई है।
संविधान पर लगातार हमले
सोनिया गांधी ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि चाहे शिक्षा हो, नागरिक अधिकार और स्वतंत्रता हो, संघीय ढांचा हो या चुनाव प्रक्रिया—हर मोर्चे पर संविधान को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने यूपीए सरकार के चार प्रमुख कानूनों—सूचना का अधिकार, मनरेगा, वन अधिकार कानून और भूमि अधिग्रहण कानून—का जिक्र करते हुए कहा कि इनकी ताकत को मौजूदा सरकार ने जानबूझकर कमजोर किया है। इसके अलावा, 2013 के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून से 80 करोड़ लोगों को फायदा हो रहा है, लेकिन जनगणना न कराने की वजह से 14 करोड़ लोग अपने हक से वंचित हैं।
महिला आरक्षण और अहम मुद्दों को नजरअंदाज
सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि दो साल पहले दोनों सदनों से पारित इस विधेयक को तुरंत लागू करने और अनुसूचित जाति, जनजाति व ओबीसी महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की मांग कांग्रेस लगातार उठा रही है, लेकिन इसे जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने अफसोस जताया कि सत्तारूढ़ दल संसद में अहम मुद्दों पर चर्चा से भाग रहा है। रक्षा और विदेश मंत्रालयों के कामकाज पर लोकसभा में बहस की मांग को भी ठुकरा दिया गया, जबकि पड़ोस में अशांत माहौल और चीन की सीमा पर चुनौतियों जैसे गंभीर विषयों पर बात जरूरी है।
चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल
सोनिया गांधी ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बार-बार चुनाव आयोग के कामकाज, उसके अपारदर्शी नियमों और प्रक्रियाओं पर संसद में चर्चा की मांग की, लेकिन छोटी अवधि की बहस की भी इजाजत नहीं दी गई। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं को बोलने से रोकने को उन्होंने लोकतंत्र के लिए खतरा बताया।
भाजपा की विफलताओं को उजागर करें
पार्टी सांसदों को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने साफ निर्देश दिया कि वे भाजपा शासित राज्यों में कुशासन और विफलताओं को आक्रामक तरीके से सामने लाएं। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां देश के संघीय ढांचे और नागरिक अधिकारों को कमजोर कर रही हैं, और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। वक्फ बिल को लेकर उनका रुख सख्त था—उन्होंने इसे संविधान के मूल्यों के खिलाफ और समाज को तोड़ने वाला कदम करार दिया।
एकजुट विपक्ष की गूंज
सोनिया गांधी का यह बयान न सिर्फ सरकार के खिलाफ एक तीखा हमला है, बल्कि विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश भी नजर आता है। वक्फ बिल और वन नेशन, वन इलेक्शन जैसे मुद्दों पर उनकी यह टिप्पणी संसद में आने वाली बहस को और गर्म करने वाली है। क्या सरकार इन सवालों का जवाब दे पाएगी, या यह विवाद और गहराएगा? यह देखना अभी बाकी है, लेकिन सोनिया गांधी ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस इस लड़ाई को चुपचाप नहीं देखेगी।