लखनऊ, 25 मार्च 2025, मंगलवार। लखनऊ में सोलर संयंत्र स्थापना से जुड़े एक बड़े भ्रष्टाचार मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी जांच शुरू कर दी है। यह मामला इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रहे आईएएस अभिषेक प्रकाश और उनके करीबी निकांत जैन से जुड़ा है, जिन पर सोलर संयंत्र लगाने के लिए 5 प्रतिशत रिश्वत मांगने का आरोप लगा है। ईडी ने इस मामले में गोमतीनगर थाने में दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) और अन्य संबंधित दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए हैं।
ये है पूरा मामला
यह मामला तब सामने आया जब सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने वाली कंपनी एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्त ने इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार की शिकायत की। आरोप है कि कंपनी के प्रोजेक्ट को मंजूरी दिलाने के लिए निकांत जैन ने 5 प्रतिशत कमीशन की मांग की थी। शिकायत के मुताबिक, इन्वेस्ट यूपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने निकांत जैन का संपर्क नंबर देकर कहा था कि उनसे बात करने पर ही प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा सकेगा। रिश्वत देने से इनकार करने पर निकांत ने धमकी दी कि बिना उनकी मदद के प्रोजेक्ट मंजूर नहीं होगा।
शिकायत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर त्वरित कार्रवाई करते हुए अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया गया और निकांत जैन को गोमतीनगर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने शनिवार को निकांत और उनके भाई सुकांत जैन के विराट खंड स्थित दफ्तर को सील कर दिया था।
ईडी की कार्रवाई
ईडी ने इस हाई-प्रोफाइल मामले में सक्रियता दिखाते हुए सोमवार देर शाम गोमतीनगर थाने से पूरे प्रकरण की जानकारी हासिल की। ईडी अधिकारियों ने पुलिस से निकांत जैन के घर और दफ्तर का पूरा ब्योरा लिया, साथ ही उसके ठिकानों से मिले दस्तावेजों और अब तक जुटाई गई संपत्ति की जानकारी प्राप्त की। सूत्रों के अनुसार, ईडी मंगलवार को निकांत और सुकांत जैन के सील किए गए दफ्तर में तलाशी ले सकती है। इसके अलावा, जेल में बंद निकांत जैन से पूछताछ के लिए ईडी कोर्ट से अनुमति मांगने की तैयारी कर रही है।
ईडी इस मामले में दोनों आरोपियों—अभिषेक प्रकाश और निकांत जैन—की संपत्तियों की गहन जांच करेगी। माना जा रहा है कि रिश्वत और दलाली से अर्जित धन को निकांत ने अपनी कंपनियों के जरिए ठिकाने लगाया हो सकता है। पुलिस ने पहले ही निकांत और उसके परिवार के बैंक खातों का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है, जिसे अब ईडी आगे बढ़ाएगी।
अभिषेक प्रकाश और निकांत जैन की बढ़ती मुश्किलें
2006 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश, जो अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के सचिव भी थे, इस मामले में प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं। उनकी निलंबन अवधि में उन्हें राजस्व परिषद से संबद्ध किया गया है। वहीं, निकांत जैन, जो मूल रूप से मेरठ का रहने वाला है, पर लखनऊ, एटा और मेरठ में पहले से मुकदमे दर्ज हैं। उसका बड़ा भाई सुकांत जैन कथित तौर पर अंडरग्राउंड हो गया है, जिसकी तलाश पुलिस कर रही है।
सूत्रों का कहना है कि निकांत जैन और अभिषेक प्रकाश की दोस्ती मेरठ में तब शुरू हुई थी, जब अभिषेक वहां पीवीवीएनएल के प्रबंध निदेशक थे। निकांत, जो एक भाजपा नेता का रिश्तेदार बताया जाता है, धीरे-धीरे दलाली के धंधे में उतर गया और उसने गोमतीनगर में एक आलीशान कोठी बनाई।
आगे की जांच
ईडी की जांच से इस मामले में और बड़े खुलासे होने की संभावना है। निकांत के बैंक खातों, कॉल डिटेल्स और कंपनियों की छानबीन के साथ-साथ अभिषेक प्रकाश के खिलाफ विजिलेंस जांच की भी तैयारी चल रही है। इसके अलावा, लखनऊ डिफेंस कॉरिडोर में भूमि अधिग्रहण में कथित धांधली के एक अन्य मामले में भी अभिषेक प्रकाश पर सवाल उठे हैं, जिसकी जांच राजस्व परिषद की रिपोर्ट के आधार पर आगे बढ़ सकती है।
योगी की जीरो टॉलरेंस नीति का बड़ा एक्शन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति के तहत शुरू हुई यह कार्रवाई अब ईडी की जांच के दायरे में आ चुकी है। निकांत जैन और अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, और आने वाले दिनों में इस मामले में और भी सनसनीखेज जानकारी सामने आ सकती है। ईडी की तलाशी और पूछताछ से यह स्पष्ट होगा कि इस भ्रष्टाचार के तार कितने दूर तक फैले हैं।