नई दिल्ली, 20 मई 2025, मंगलवार। मध्य प्रदेश के बीजेपी मंत्री विजय शाह द्वारा भारतीय सेना की अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। ऑपरेशन सिंदूर पर भाषण देते वक्त मंत्री ने कर्नल के धर्म पर निशाना साधा और उन्हें पाकिस्तानी आतंकियों की बहन तक कह डाला। इस बयान ने न केवल विवाद को जन्म दिया, बल्कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की सख्त फटकार भी बीजेपी नेता को झेलनी पड़ी। अब इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल (SIT) गठित किया है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर SIT क्या होती है और यह किसे अपनी रिपोर्ट सौंपती है?
कोर्ट की फटकार और माफी पर सवाल
विजय शाह की टिप्पणी के बाद मामला कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत तो दी, लेकिन उनकी माफी को पर्याप्त नहीं माना। कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए SIT जांच के आदेश दिए। यह जांच तय करेगी कि क्या मंत्री को राहत मिलेगी या उनकी मुश्किलें और बढ़ेंगी। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम दिखाता है कि वह इस मामले में निष्पक्ष और सख्त रुख अपनाने को तैयार है।
SIT क्या है? इसका गठन क्यों?
SIT यानी स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम, एक ऐसी विशेष टीम होती है, जो जटिल और संवेदनशील मामलों की जांच के लिए बनाई जाती है। इसमें शीर्ष स्तर के पुलिस अधिकारी, रिटायर्ड जज या विशेषज्ञ शामिल हो सकते हैं। SIT का गठन ज्यादातर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट द्वारा किया जाता है, हालांकि केंद्र या राज्य सरकारें भी इसे बना सकती हैं। इसका मकसद होता है निष्पक्ष और गहन जांच, जिसमें कोई हस्तक्षेप न हो। SIT को किसी से भी पूछताछ करने, दस्तावेज मांगने और सबूत जुटाने का पूरा अधिकार होता है। इसकी स्वतंत्रता ही इसे खास बनाती है।
SIT किसे देती है रिपोर्ट?
कर्नल सोफिया कुरैशी मामले में गठित SIT सीधे सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। आमतौर पर, अगर SIT को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट ने बनाया है, तो वह अपनी जांच पूरी कर सीधे कोर्ट को जवाबदेह होती है। लेकिन अगर राज्य सरकार ने SIT गठित की हो, तो वह मुख्य सचिव या मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट देती है। इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी SIT अपनी जांच के निष्कर्ष कोर्ट के सामने रखेगी, जिसके आधार पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
इस SIT में कौन-कौन शामिल?
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को SIT गठन का आदेश दिया है। इस टीम में तीन IPS अधिकारी शामिल हैं, जिनका नेतृत्व IG रैंक का अधिकारी करेगा। खास बात यह है कि SIT में उस राज्य के अधिकारी शामिल नहीं होते, जहां का मामला हो, ताकि जांच पूरी तरह निष्पक्ष रहे। इसीलिए इस SIT में मध्य प्रदेश के बाहर के अधिकारी जांच की कमान संभालेंगे।
क्यों है यह मामला अहम?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की सम्मानित अफसर हैं, और उनके खिलाफ की गई टिप्पणी न केवल व्यक्तिगत, बल्कि सेना और देश की गरिमा से जुड़ा मसला है। विजय शाह के बयान ने धर्म और देशभक्ति जैसे संवेदनशील मुद्दों को छू लिया, जिसके चलते यह मामला सुर्खियों में है। SIT की जांच से यह साफ होगा कि क्या मंत्री का बयान महज एक गलती थी या इसके पीछे कोई गहरी मंशा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल इस मामले, बल्कि भविष्य में ऐसी टिप्पणियों पर भी एक मिसाल कायम कर सकता है।